दून घाटी का संरक्षण, पहले किया शहीद आंदोलनकारियों को नमन, फिर दून डायलॉग अभियान शुरू
दून घाटी के संरक्षण के लिए अब सामाजिक संस्थाएं आगे आने लगी हैं। विकास के नाम पर पेड़ों के कटान के खिलाफ कई संस्थाएं लगातार आंदोलन कर रही हैं। अब इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए दून घाटी के संरक्षण के प्रयास की शुरूआत की गई है। आज शनिवार यानि कि 13 जुलाई को देहरादून में एक ऐसा ही कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान पहले देहरादून कलक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक स्थल पर राज्य आंदोलन के शहीदों को नमन किया गया। इसके बाद दून डायलॉग अभियान का शुभारंभ किया गया। इसके तहत हर दून वासी से देहरादून को बेहतर बनाने के सुझाव लिए जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में दून घाटी जनसंघर्ष समिति ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी परिषद के साथ कचहरी स्थित “शहीद स्मारक” में शहीद आंदोलनकारियों को नमन करके अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके उपरान्त “दून डायलॉग” अभियान का शुभारंभ किया गया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य दून घाटी का संरक्षण और दून घाटी को पहले की तरह बेहतर देहरादून पूर्नस्थापित करने के लिए जन जागरण करना, जनता की समस्यओं व उनके समाधानों पर कार्य करने का होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दून डायलॉग में सभा को संबोधित करते हुए दून घाटी जनसंघर्ष समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा कि आज देहरादून ने अपनी पुरानी चमक खो दी है। उन्होंने बताया कि एक समय पहले देहरादून अपनी लीची, बसंती चावल, चाय बागान व अन्य बेहतरीन चीज़ों के लिए जाना जाता था। आज देहरादून में जगह जगह कूड़े के ढेर लगे है। बगीचों का रूप कंक्रीट ने ले लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि देहरादून की गिनती आज भारत में टाप 10 प्रदूषण शहरों में हो रही है। फिर भी सरकार ने दून घाटी अधिसूचना 1989 को निष्क्रिय कर दिया है। इसकी रक्षा के लिए उन्होंने पीएमओ को पत्र दिया। इस पत्र के क्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय हस्तक्षेप के बाद MoEF ने अभी अग्रेतर कार्यवाही रोक दी है, मगर कब तक? रोज दून डायलॉग के जरिये देहरादून व आस पास के क्षेत्रों में आम जनता को हो रही समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव भी लिए जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने अभियान के बारे में बताया कि आने वाले समय में दून घाटी जनसंघर्ष समिति की ओर से हस्ताक्षर अभियान व विभिन्न जनजागरूकता अभियानों के माध्यम से आम जनता को इस मुहीम से जोड़ा जाएगा। सभी दूनघाटी वासियों के साथ मिलकर इस मुहीम को आगे बढ़ाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि पहले हमने उत्तराखंड बचाने की लड़ाई लड़ी थी और अब हम दून डायलॉग के माध्यम से दून घाटी बचाने की लड़ाई लड़ेंगे। सिटिजन फ़ॉर ग्रीन दून के अध्यक्ष हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि अभी हमने संघर्ष करके 200 पेड़ बचाए। कैंट रोड पर ये पेड़ सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काटे जा रहे थे। हमने पैदल मार्च किया और हजारों लोगों ने सहयोग किया। भविष्य में दून डायलॉग के माध्य्म से हमको संगठित होकर अनियोजित विकास ने नाम पर हजारों पेड़ों के कटान को रोकना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एसडीसी (SDC) के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा कि पर्यावरण को जनजागरण से जोड़ना होगा। राजनीतिक पार्टियों को भी हरित एजेंडे पर काम करना होगा। उन्होंने तथ्यों के साथ देहरादून दून घाटी पर भविष्य में आने वाले खतरे से चेताया। हिमालय बचाओ संस्था के अध्यक्ष समीर रतूड़ी ने कहा कि इकोलॉजी आधारित विकास पर जोर देने से ही दून घाटी और उत्तराखंड का भला हो सकता है। उन्होंने दून डायलॉग को दून घाटी के बाद पूरे प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में कार्य करने की सलाह दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कर्मचारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष दिनेश भंडारी ने कहा कि बड़ी मात्रा में वन भूमि को परियोजनाओं के लिए उजाड़ा जा रहा है। अतः दून डायलाग से इस विषय को भी आगे बढ़ाना है। ऋषिकेश से जयेंद्र रमोला ने कहा कि ऋषिकेश में प्रदूषण की मात्रा दिन-ब-दिन बढ़ रही है, गंगा किनारे लोग अतिक्रमण कर रहे है और ये दून घाटी अधिसूचना हटने से तो भारतवर्ष व हिन्दू धर्म की ऐतिहासिक नगरी ऋषिकेश का अस्तित्व ही खतरे में आ जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अधिकवक्ता संदीप चमोली ने कहा कि अब राज्य बने 24 साल हो गए हैं अतः देहरादून और उत्तराखंड बचाने की लड़ाई हम दून डायलॉग के माध्यम से करेंगे। डोईवाला से मोहित उनियाल ने राज्य सरकार पर दून घाटी एक्ट 1989 को भी खत्म करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दून घाटी अधिसूचना 1989 में 01 फरवरी 1989 को दून घाटी क्षेत्र को पर्यावरण मुक्त व अन्य पर्यावरण के विषय पर संवेदनशील होने के कारण इसको छेड़ना दून घाटी के भविष्य के लिये खतरनाक होगा। उन्होंने कहा कि दून डायलॉग का अभियान डोईवाला और आसपास के क्षेत्रों में भी चलाया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी उर्मिला शर्मा ने कहा कि विकासनगर और आसपास के क्षेत्रों में अनियोजित खन्नन हो रहा है जिससे दून घाटी को विगत कुछ वर्षों में बहुत नुकसान हुआ है। राज्य आंदोलनकारी संघ के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि दून डायलॉग को हम देहरादून के 100 वार्डों से लेकर विकासनगर, मसूरी, ऋषिकेश और डोईवाला तक कार्यक्रम का विस्तार करेंगे। इससे जनजागरण द्वारा समस्याओं के समाधान पर चर्चा हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आमसभा के सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि हम देहरादून, मसूरी, सहसपुर, डोईवाला, ऋषिकेश , विकासनगर और आसपास का क्षेत्र जो दून घाटी के अंतर्गत आता है उसको बचाने की लड़ाई हम हर स्तर पर लड़ेंगे। प्रधान मंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद भी यदि उत्तराखंड सरकार जाग नही रही है तो ये राज्य सरकार का दुर्भाग्यपूर्ण रवैया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में पहले ही रैणी, जोशीमठ, उत्तरकाशी और टिहरी बांध के आसपास व अन्य कई इलाकों में कई बार आपदा आ चुकी है। भूकंप की दृष्टि से जोन चार पर और फाल्ट लाइन पर होने के चलते दून घाटी में पहले से ही अत्यधिक जनसंख्या का दबाव है। आए दिन दून घाटी के पर्यावरण में बदलाव हो रहा है। इस बार गर्मियों में तीन बार देहरादून का तापमान तीन बार 43 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया। ऐसा पहली बार हुआ। अतः हमारा डबल इंजन सरकार से निवेदन है कि इस दून घाटी क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा की ओर कार्य किए जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम का संचालन दून घाटी जनसंघर्ष समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर ने किया। कार्यक्रम में जगमोहन सिंह नेगी, हिमांशु अरोड़ा, अनूप नौटियाल, जयेंद्र रमोला, मोहित उनियाल, समीर रतूड़ी, संदीप चमोली, प्रदीप कुकरेती, विजय लक्ष्मी काला, सरिता जुयाल, दिनेश भंडारी, उर्मिला शर्मा, पूरन सिंह लिंगवाल, जया सिंह आदि अन्य नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।