पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को बेदखल करने की प्रशांत किशोर लिख गए थे पटकथा, सिद्धू के कंधे पर रखी गई बंदूक
पंजाब में सीएम के पद से कैप्टन अमरिंदर सिंह को बेदखल करने के पीछे की पूरी कहानी सिद्धू और कैप्टन के बीच विवाद नहीं, बल्कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सर्वे रिपोर्ट मानी जा रही है।

सूत्र बताते हैं कि पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की घेरेबंदी के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से सूबे की सत्ता की कप्तानी छीनने में सबसे निर्णायक भूमिका कुछ समय पहले तक उनके ही सलाहकार रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की है। समझा जाता है कि पंजाब के सियासी मिजाज का आकलन कर पीके की टीम ने पिछले कुछ समय के दौरान तीन अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट कांग्रेस हाईकमान को दी।
सूत्रों के मुताबिक कैप्टन को हटाने की रणनीति प्रशांत किशोर से मिल फीड बैक के बाद बनी। प्रशांत किशोर ने ही कैप्टन के खिलाफ जबर्दस्त एंटी इनकंबेंसी की बात कही। खास बात ये कि प्रशांत किशोर कैप्टन के ही सलाहकार थे और कैप्टन ने उन्हें कैबिनेट रैंक दे रखी थी। बाद में इस पर उन्हें सफाई तक देनी पड़ी थी। हाल ही में प्रशांत किशोर ने सीएम के सलाहकार का पद छोड़ दिया। इस बीच प्रशांत किशोर की करीबी गांधी परिवार से बढ़ गयी।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान ने पिछले कुछ महीनों के दौरान अलग-अलग अंतराल के दौरान कैप्टन सरकार के प्रदर्शन से लेकर पार्टी की चुनावी संभावनाओं का आकलन कराया। पंजाब कांग्रेस की उठापटक के दूसरे चरण में सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी एक सर्वे हुआ और इसमें भी प्रशांत किशोर की टीम ने कमोबेश यही रिपोर्ट दी कि कैप्टन के खिलाफ एक बड़े वर्ग में जमीनी स्तर पर नाराजगी है।
सर्वे रिपोर्टों में कैप्टन के राजशी अंदाज के कारण लोगों से बनी दूरी को भी एक वजह बताया गया है। साथ ही सर्वे का यह आकलन भी था कि अमरिंदर को हटाकर किसी नए व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना कांग्रेस अगले चुनाव में इस नाराजगी को थाम सकती है। समझा जाता है कि इन रिपोर्ट के बाद राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर के साथ बैठक कर इस पर विस्तृत चर्चा की और इस दौरान प्रियंका भी मौजूद थीं। इसी के बाद राहुल और प्रियंका ने कैप्टन की विदाई का इरादा तय कर लिया। इस लिहाज से पीके की जमीनी हालात की सर्वे रिपोर्ट ने कैप्टन की मुख्यमंत्री के रूप में पारी खत्म करने की पिच तैयार कर दी। इस पिच में कैप्टन की विकेट गिराने के लिए सिद्धू जैसे खिलाड़ियों का इस्तेमाल किया गया। यानी सिद्धू के कंधे में बंदूक रखकर उनका इस्तेमाल किया गया।
जिन सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम पहले चल रहा था, उनको अब डिप्टी सीएम बनाए जाने की खबर है। वो इस फैसले के बाद जब सामने आए तो कहा कि चन्नी उनके छोटे भाई हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जाते-जाते एक चेतावनी दी थी जिसका सीधा मतलब था कि अगर उनके मन का सीएम नहीं बना तो वो ताकत आजमाइश से पीछे नहीं हटेंगे। इस स्थिति में कांग्रेस को वो फ्लोर टेस्ट तक करा देंगे। हाशिए पर पड़े कैप्टन की चेतावनी कितनी असरदार थी पता नही, लेकिन कैप्टन ने चन्नी को उनके चुनाव पर बधाई दी। दलित को सीएम बनाने का विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं थी।
दरअसल कैप्टन अब अगर पार्टी के खिलाफ जाते तो हारी हुई लड़ाई लड़ते। चुनावी साल में कोई विधायक उनके साथ जाकर अपना प्रॉस्पेक्ट नहीं खरबा करता। पंजाब की राजनीति में अक्सर ये ही देखने को मिलता है कि जब कोई अकेला पड़ने लगता है तो उसका साथ कोई नहीं देता। उम्र के आठवें दशक में चल रहे कैप्टन से आलाकमान का इशारा समझने में भी देर हुई। दरअसल अब वो बहुत कमजोर ग्राउंड पर थे। सालों बाद कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब जैसे सूबे में एक क्षेत्रीय क्षत्रप के आगे अपनी ताकत आजमायी है। साढ़े नौ साल के सीएम कैप्टन अमरिंदर आखिरकार बेदखल हुए। मगर बड़ा सवाल ये है कि पंजाब में ये बदलाव कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा या नुकसानदेह।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।