गंगा को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं राजनैतिक दल: थपलियाल
उत्तराखंड पूर्व सैनिक अर्द्ध सैनिक सयुंक्त संगठन के महासचिव पीसी थपलियाल ने कहा कि राजनैतिक दलों की लांघती मर्यादाओं से हम आहत है।आज की राज्य की राजनीति धर्मग्रन्थो की अनदेखी करते हुए सुविधा अनुसार हरकी पैड़ी में गंगा नहर की व्याख्या गढ़ रही है। संगठन के आध्यत्म की धरती उत्तराखंड में धर्म गर्न्थो की अनदेखी देव भूमि के धार्मिक स्वरूप को खंडित करती है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हरकी पैड़ी का महत्व गंगा से नही, समुंदर मंथन के अमृत कलश व कुंड से है। अंग्रेजो की ओर से बनाई गई गंग नहर जो हरकी पैड़ी से होते हुए पश्चिमी उत्तरप्रदेश के खेतों में समा जाती है वो भला कैसे गंगा ?
उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि धर्मग्रन्थो में लिखित गंगा द्वार, नील पर्वत व बिल्ब पर्वत के बीच की नील धारा को अनदेखा क्यों किया गया। नील धारा ही अबिरल गंगा की वो धारा है जो चंडी मंदिर स्थित नील पर्वत की जड़ से
उन्होंने कहा कि एक कहावत है कि टिहरी के राजा ने कहा था कि मेरी गंगा ह्वाहली त मि मा आली।तो यही चंडीघाट से बहती गंगा असली गंगा है। गंग नहर जो उत्तरप्रदेश के खेतों। में समा जाती है नही। अगर धर्मग्रन्थो का ज्ञान नही तो सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा बनाये नक्शे को भी अनदेखा करना, जिसमे स्पष्ट रूप से गंगा का चित्रण है वैसा ही जैसा केदारखंड में लिखित है। हर की पैड़ी का धार्मिक महत्व ब्रह्म कुंड से है गंगा से नही। कनखल में सती कुंड व बिलकेस्वर में गौरी कुंड की समझ सरकार को नही। सरकार सर्वे ऑफ इंडिया का भी संज्ञान नही ले रही।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।