बागपत में पुलिस ने किसानों को रात को हटाया, लौटने लगे हैं किसान, नेताओं पर मुकदमें
किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में बवाल होने के बाद अब किसान संगठनों में भी फूट पड़ने लगी है। सभी एक दूसरे को हिंसा का जिम्मेदार बता रहे हैं। दो संगठनों ने आंदोलन से किनारा कर लिया। हालांकि इसमें भानु गुट पहले भी एक बार आंदोलन से अलग हो चुका था। वहीं किसान नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने का सिलसिला शुरू हो गया है। बागपत पर पुलिस ने धरना दे रहे किसानों को रात के समय हटा दिया। ऐसे में अब आंदोलन को जारी रखना किसान संगठनों के लिए चुनौति भरा होगा।
हालांकि दो माह से चल रहे विभिन्न बार्डर पर किसानों के धरने में भीड़ ट्रैक्टर रैली के आह्वान के कारण बढ़नी शुरू हुई थी। रैली समापन के बाद अब किसान ट्रैक्टर लेकर अपने घर लौटने लगे। ऐसे में धरने में पूर्व की भांति किसान नजर आने लगे हैं। वहीं, दो किसान संगठनों के आंदोलन से किनारा करने पर कुछ स्थानों पर इसका असर भी दिख रहा है।
आंदोलन कर रहे किसानों को हटाया
26 जनवरी की घटना के बाद से कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को लेकर अस्थिरता फैली हुई है। इस बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में एक हाईवे पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाए जाने की खबर आई है। जानकारी है कि बुधवार की रात को यूपी पुलिस ने इन किसानों को यहां से हटा दिया है। किसानों को हटाए जाने को लेकर यूपी पुलिस ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी के एक नोटिस का हवाला दिया है। इसमें निर्माण गतिविधि में देरी होने की बात की गई थी।
बुधवार रात की इस घटना के कुछ विजु़अल्स भी सामने आए हैं। जिनमें पुलिस टेंट में बैठे लोगों को भगाती हुई नजर आ रही है। पुलिस का कहना है कि उसने प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक नहीं हटाया है।
ऐसे हुआ था बवाल
बता दें कि गणतंत्र दिवस वाले दिन लालकिले के भीतर किसान प्रदर्शनकारी घुस गए और जमकर तोड़फोड़ की। यही नहीं लालकिले में तिरंगे के बगल में किसानों ने एक अन्य झंडा भी फहरा दिया। इस घटना में करीब 300 पुलिसवाले घायल हुए। इस पूरे मामले पर किसान संगठनों ने कहा कि रैली में कुछ असमाजिक तत्व घुस आए थे। इसके साथ ही उन्होंने साजिश का आरोप भी लगाया और शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात दोहराई।
पुलिस का दावा, शांतिपूर्वक हटाया
न्यूज एजेंसी मुताबिक, बागपत के एडीएम अमित कुमार सिंह ने कहा, ‘NHAI ने हमें एक लेटर लिखा था। जिसमें यहां पर किसानों के प्रदर्शन के चलते सड़क निर्माण गतिविधि में देरी होने की बात कही गई थी। हमने किसानों को शांतिपूर्वक प्रदर्शनस्थल से हटा दिया है।
खोल दिया नेशनल हाईवे
दिल्ली ट्रेफिक पुलिस ने जानकारी दी है कि गाजियाबाद को दिल्ली से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे 24 अब पूरी तरह से खोल दिया गया है। कल दो किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म करने का एलान किया था। अबत क गाजियाबाद से दिल्ली जाने वाले वाहन गाजीपुर से निकलकर दिल्ली जा रहे थे।
आंदोलन जारी, किसानों की संख्या हुई कम
सिंघू , टिकरी , गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है। वैसे धरने पर बैठे किसानों की संख्या थोड़ी कमी हुई है। बुधवार देर रात किसान नेता डॉ दर्शनपाल को दिल्ली पुलिस ने नोटिस दिया। नोटिस में दिल्ली पुलिस ने पूछा कि आप पर कार्रवाई क्यों न की जाए। तीन दिन के भीतर इस नोटिस का जवाब देना होगा।
नोटिस में पूछे सवाल
इस नोटिस में दिल्ली पुलिस कई अहम सवाल पूछे हैं कि आपका पुलिस के साथ जो समझौता हुआ उसे आपने तोड़ा। शर्त के अनुसार आप लोगों को ट्रैक्टर मार्च में सबसे आगे होना था पर आप वहां नहीं थे। शर्त में सिर्फ 5000 ट्रैक्टरों की अनुमति थी, ट्रैक्टर मार्च का तय समय 12 बजे था, लेकिन आपने पहले ही अपना ट्रैक्टर मार्च शुरू कर दिया। अराजक तत्वों ने 26 जनवरी को तड़के मंच पर कब्जा कर लिया और भड़काऊ भाषण दिए।
पुलिस ने ये भी कहा कि लालकिला जो कि एक संरक्षित इमारत है, उसमें घुसकर तोड़फोड़ की गई जो कि एक देश विरोधी कृत्य है। लाल किले के अंदर से किसान संगठनों के झंडे भी बरामद हुए हैं।
दीप सिद्धू और लक्खा सिधाना पर भी मुकदमा
दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी के दिन किसानों द्वारा बुलाई गई ट्रैक्टर रैली में लाल किले पर हुई हिंसा के मामले में दर्ज प्राथमिकी में अभिनेता दीप सिद्धू और गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने लक्खा सिधाना के नाम भी लिए हैं। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बुधवार शाम को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सार्वजनिक संपत्ति को क्षति से रोकथाम अधिनियम और अन्य कानूनों की प्रासंगिक धाराओं के तहत उत्तरी जिले के कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया है। पुलिस ने हिंसा मामले में राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और मेधा पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के खिलाफ भी नामजद प्राथमिकी दर्ज की है। उनके खिलाफ दंगा, आपराधिक षड्यंत्र, हत्या का प्रयास सहित IPC की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।