युवा कवयित्री गीता मैंदुली की कविता-आज के हालात

आज के हालात..
मक़्कारी आती नहीं हमें रास
बड़े बड़े मिले मुझे सलाहकार
और उनके हर कदम हैं मेरे खिलाफ
फिर कहते हैं मैं तो करीबी हूं यार।
दो पैसों का भी नहीं है दिलों में प्यार
नफरतों के व्यापार चलते हैं उनके हजार
और कसर कोई छोड़ते नहीं वो चापलूसी में
शरीफों का तो समझो गिर गया है बाजार।
अपनी बात सदैव हो सर्वमान्य
बस यही चाहते हैं कुछ गणमान्य
और तंगी में भी तंग करते हैं वो
बताओ कैसे भरें हम इन ज़ख्मों के घाव।
आंखों ने कितने अश्रु सागर बहाए हैं
कैसे कहें कि हम कितने सताए हैं
और गलती मेरी ये कि मैंने अपनों को अपना समझा
उन्होंने बड़ी मेहनत की है मुझे पराया बताने में।
दर्द जिंदगी के तो हमने सहे ही हैं
लेकिन झूठे इल्ज़ामों ने मेरा दर्द बड़ाया है
और सपनों में भी सोचा नहीं बुरा किसी का
पर भला करके मैंने खुद को बुरा बनाया है।।
कवयित्री का परिचय
नाम – गीता मैन्दुली
माता का नाम श्रीमती यशोदा देवी
पिता का नाम श्री दिनेश चंद्र मैन्दुली
अध्ययनरत – विश्वविद्यालय गोपेश्वर चमोली
निवासी – विकासखंड घाट, जिला चमोली, उत्तराखंड।





