शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-मां पुण्यासणी

मां पुण्यासणी
मां पुण्यासणी का रूप निराला
चारों तरफ होता है उजियारा
साक्षात दर्शन देती है मैया
सभी भक्तों की मां कृर्पाला।
भक्तजन जब दर पर आते
खाली हाथ कोई नहीं जाते
भर देती है झोली सबकी
खुश होकर सब घर जातें।
जय जय जय मां पुण्यासणी
सब भक्त जन जोर से गाते
सब जन आओ मिलकर गाओ
जयकारा मां का लगवाओ।
सब जन का मां कष्ट हरेगी
सबके दुःख को दूर करेंगी
करूणामयि दयामयि मां
सब जन को खुश कर देगी।
प्यार मां सबको है करतीं
सबके दुःख को मां हर लेती
मां पुण्यासणी मां पुण्यासणी
सबको मां खुश कर देती।
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।