Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 11, 2025

शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-औकात

शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-औकात।

औकात

सुबह उठी इक तितली मचली
पर खोल देख निज रंगों को
फूलों फूलों पर है इतराती
कलियों को ताना सा देती
सूरज की किरण रुपहली से
बोल उठी देखो तो वो पगली
तेरी भी रंगत तो बस है मुझसे
वरना तुझमें भी कुछ बात कहाँ
किरणें बोली हाँ ठीक कहा तूने
मेरे बिन रात में जब इठलाना
समझेगी तू कि तेरी औकात कहाँ
केवल जुगनू ही जगमग चमकेंगें
तेरे रंगों में फिर वो बात कहाँ
समय ही सबसे बलवान यहाँ
कभी तेरा है ये, कभी मेरा यहाँ
अपनी औकात में ही रहना सब
केवल समय बड़ा बलवान यहाँ
समय से बढ़कर नहीं तेरी मेरी
किसी की भी होती औकात यहाँ ।
कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी
डी.ए.वी ( पीजी ) कालेज
देहरादून उत्तराखंड।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *