शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-चुनरी ओढ़े वो आती

चुनरी ओढ़े वो आती
उड़ती है खुशबू हृदय में,
किसकी छवि लिए वो आती।
तन बदन विभोर कर देती,
पल्लव किरणे सूर्य की लाती।।
शशि मुख पर चुनरी ओढ़े,
जलते दीप जैसे हो छुपाती।
विचलित करती अब मन को वो,
मेरी ओर ही क्यों वो बड़ आती।।
हृदय घिर चुका चारों ओर से,
वो हाथों में चांदनी लिए आती।
कौतूहल हृदय में जगा रही वो,
मधुर गुंजन प्रेम वो जगाती।।
तम छाया घनघोर यहां फिर भी,
प्रलय मचाते आंधियां आती।
नहीं डर उर में तनिक उसके,
आंधियों को भी वो पार कर जाती
पुलकित आगमन पर धरा उसके,
वो भी उस शशि मुख को निहारती जाती।
पुष्प डाली कलियां भावविभोर सभी,
वात्सल्य प्रेम उस पर बिखेरना चाहती।।
सच में क्या मिलन संभव हमारा,
ये बात करुण द्रवित हृदय में आती।
पर इंतजार में मैं पलके बिछाए,
यादें क्यों नहीं अब हृदय से जाती
यादें क्यों नहीं जाती,
यादें क्यों नहीं जाती।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।