Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

October 28, 2025

शिक्षिका एवं कवयित्री डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-गोवा तेरे क्या कहने

शिक्षिका एवं कवयित्री डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-गोवा तेरे क्या कहने।

गोवा तेरे क्या कहने
तेरी हर सुबह रंगीली
हर शाम दीवाली है
नारियल ही नारियल
हर ओर यहाँ के प्रहरी हैं
इनमें बहता पानी है या
ये मदिरा की प्याली हैं
एक अजीब सा नशा है
यहां की हसीन फिज़ाओं में
ग़ालिब को गुनगुनाते देखा
है मैंने अक्सर गोवा के
मासूम से सुन्दर परिंदों में
निराला सा अजब गज़ब
गोवा तू दक्षिण भारत की
शानो जान है।
सागर की उमड़ती
उठती गिरती -पड़ती
आती फिर वापिस जाती
मस्ती भरी नागिन सी
लहरों के दूधिया से झाग भरे
फैनिल से सफेद बहते
सागर की हर मचलती मौजों
में मैंने गालिब को देखा
है अक्सर माँझी की मनमौजी
सी लहराती गोता खाती
नौका को दिशा दिखाती
पर फैलाती सी इन पतवारों में ।
गोवा तेरी तो हर सुबह
मनमौजी सी मस्त है
हर शाम दिलकश निराली है
जवां तो जवां ही यहाँ
ये तो बूढों के ज़िगर में
मस्ती सी भरने वाली है


कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रो. एवं हिंदी विभागाध्यक्ष
डीएवी (पीजी ) कालेज देहरादून, उत्तराखंड। (लेखिका देहरादून में डीएवी छात्रसंघ के पूर्व लोकप्रिय अध्यक्ष एवं भाजपा नेता विवेकानंद खंण्डूरी की धर्म पत्नी हैं। कविता और साहित्य लेखन उनकी रुचि है)

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *