Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 7, 2024

दीपावली पर्व पर दृष्टि दिव्यांग डॉ. सुभाष रुपेला की कविता- लक्ष्मी कृपा


Warning: Attempt to read property "post_excerpt" on null in /home/u924184807/domains/loksaakshya.com/public_html/wp-content/themes/newsphere/inc/hooks/hook-single-header.php on line 67

अँधेरे मिटें रोशनी जगमगाए।
रौनक ही रौनक ढेर घर में समाए।।
बढ़े खुशहाली पाएं धन मान काफी।
ख़ुशी देने लक्ष्मी इधर चल के आए।।
दौलत ख़ाने पर दिये तो जला लो।
ये पूजा की थाली देवी को लुभाए।।
लगा लो विजय का माथे पर ये टीका।
फिर आशीष देने माता जल्द आए।।
बरसती कृपा है ज़रा नाम जप लो।
ऐसी भक्ति देवी को सदा रास आए।। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)

दीवाली पे कपड़े पुराने न पहनो।
नए कपड़ों से माता ख़ुश हो जाए।।
न घर में कभी भी रखो गंदगी तुम।
सफ़ाई बहुत लक्ष्मी को रिझाए।।
सफेदी कराई, चमक घर में आई।
चमक देख पद्मा बसेरा बनाए।।
दुआएं निवेदित देवी से यहीं है।
गरीबी निकल भाग भारत से जाए।।
कमाना है ज्यादा, तो पढ़ना भी ज्यादा।
सुशिक्षित जहाँ में सदा मान पाए।।
नमन शारदा को किया पहले उठकर।
रुपेला कृपा लक्ष्मी की पा जाए।।
कवि का परिचय
डॉ. सुभाष रुपेला
रोहिणी, दिल्ली
एसोसिएट प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय
जाकिर हुसैन कालेज दिल्ली (सांध्य)

नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page