युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की वीर रस से ओत प्रोत कविता
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं।
माएँ तिलक लगा कर कहती जाओ पुत्र मातृभूमि के रक्षण को।1।
देख शत्रु की संख्या तुम देखो लाल तनिक भी घबराना ना।
लज्जित न करना दूध को मेरे डर के जीवित भाग के आना ना।2।
विजय पर छोटे और वीरगति पर तुम्हारा प्रथम अधिकार है।
विजय मिले तुझको और वीरगति छोटे को तो तेरा जीवन धिक्कार है।3।
सिंहनियों ने जने सिंह जो सिंह समर भूमि में जब जूझ गए।
इनसे ख़ुदा भी बचा न सकता अरी भी ऐसा बुझ गए।4।
हटे नहीं जो रण में पीछे सुन कर अरी की ललकारें।
बिना लहू का स्वाद चखे न वापस गयी म्यान में तलवारें।5।
थी कठिन समय वो कठिन परीक्षा कठिन काल की रीति रही।
शत्रु ये सोचे बैठा था कि सेनायें उनकी जीत रही।6।
मातृभूमि के रक्षण को हँस कर लुटा आए हम अपनी अधपकि जवानियाँ।
उजड़ जाती थी कोख माएँ सम्भाल कर रखती थी हमारी निशानियाँ।7।
कभी तृप्त किया भैरो को कभी काल को हमने डरा दिया।
हमसे संख्या में कई गुना की अधिक सेना को हमने रण हरा दिया।8।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।