युवा कवयित्री किरन पुरोहित की कविता-तब ही अपना नववर्ष मने
तब ही अपना नववर्ष मने
जब ऋतुराज बसंत छटा छलके ,
जब कुंज में पुष्प लता महके ।
जब यज्ञ की वेदी में ज्योति जले ,
जब जन – जन में शुभ भाव पले ।
तब ही अपना नववर्ष मने ।
तब ही अपना नववर्ष मने ।।1।।
जब पूरब में शुभ सूर्य उगे ,
शुभाशीष को शीश झुके ।
नवदुर्गा पूजी जाएं ,
प्रसन्नता खोजी जाएं ।।
तब ही अपना नववर्ष मने ।
तब ही अपना नववर्ष मने ।।2।।
जब अति शीत न अति घाम,
हर घर प्रभु का दिव्य धाम।
जब बिखोत मेले सजें ,
शुभता पूरित शंख बजें।
तब ही अपना नववर्ष मने ।
तब ही अपना नववर्ष मने ।।3।।
चैत्र प्रतिपदा जब आए ,
मधुमास चहुंदिश सज जाए ।
जब ब्रह्मा अपनी सृष्टि रचें ,
जब बाग मे कोयल कूक पडें ।।
तब ही अपना नववर्ष मने ।
तब ही अपना नववर्ष मने ।।4।।
कवयित्री का परिचय
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता -दीपेंद्र पुरोहित
माता -दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
अध्ययनरत – हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर मे बीए प्रथम वर्ष की छात्रा।
निवास-कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।