युवा कवयित्री एवं छात्रा गीता मैंदुली की कविता-बदलते रिश्ते
बदलते रिश्ते
आधुनिक युग में अब कलयुग का कहर है
जिसका भी तुम भला करना चाहो
उसकी सोच में ही उतना ज्यादा जहर है
बदलना तो सबका ही लाजमी है एक दिन
खैर ये बात अलग है किसी का मतलब पूरा हो गया
तो किसी का थोड़ा और बाकी है।।
दुनिया नहीं दुनिया के लोग बड़े निराले हैं
जब जिसको ज़रूरत हो वो बड़े प्यार से पेश आते हैं
पैसों से गरीबों की सुनता ही कौन है जहां में
अमीर हो तो अंधे को आंखें भी हाजिर हैं ।।
रिश्तो में भी दरारें आने लगी हैं अब
क्योंकि दिखावा हमसे किया ही नहीं जाता
सुनो मुझे नहीं चाहिए ये फरेब सहारा तुम्हारा
मैं खुश हूं एक बेचारा सा आवारा..।।
कितने चेहरे हैं इस जहां में एक ही इंसान के
अब तो शीशा भी लाचारी की चादर ओढ़ किनारे खड़ा है
और ग़र मैं लिखना चाहूं तो सबका हिसाब याद मुख जुबानी है
ये तो बदलते रिश्तो की बस एक छोटी सी कहानी है।।
कवयित्री का परिचय
नाम – गीता मैन्दुली
माता का नाम -यशोदा देवी
पिता का नाम-दिनेश चंद्र मैन्दुली
अध्ययनरत – विश्वविद्यालय गोपेश्वर चमोली
निवासी – विकासखंड घाट, जिला चमोली, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
Nice content ??
nice??
बहुत सुन्दर सच्चाई से लिखी रचना?????????????