Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 5, 2025

कोरोना के नियमों का संदेश देती शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता- वतन को राख न होने दो

कोरोना के नियमों का संदेश देती शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता- वतन को राख न होने दो।

वतन को राख न होने दो

रुक जाओ अभी भी घरों में,
वतन को राख मत होने दो।
मौतें जो हो गई हज़ारों में,
उसको अब लाख मत होने दो।।

क्यों बेवजह निकलते घरों से तुम,
वतन को खाक मत होने दो।
ठहर जा घर पर इस घड़ी,
अब घर को मत खाक होने दो।।

मास्क पहन सफाई रख दूरी बना,
आंख में आंसू तो मत आने दो।
इसी में सबकी भलाई छुपी है,
इन बुरे पलों को तो बीत जाने दो।

विनती कर रहा, आज वतन तुझसे
मुझे शमशान घाट मत बनने दो।
आज की जंग लड़े, सब साथ में मिलकर,
इस जंग को अब खाक मत होने दो।।

थाम ले पैर, वतन और अपनों की खातिर,
बेवजह जान खाई में मत गिरने दो।
बीत जाएंगे जरूर ये बुरे पल अब,
जान को अपनी राख मत होने दो।

रुक”””””””””‘”””””””””””””””””””‘ दो।
मौतें”””””””””””””””””””””””””” दो।।

कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसी लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “कोरोना के नियमों का संदेश देती शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता- वतन को राख न होने दो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *