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April 19, 2025

शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-वेदना मेरे मन की

श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।


वेदना मेरे मन की
एक वेदना है मेरे मन में,
पुछूं तो पूछूं किससे।
कौन कोरोना का हल्ला मचा रहा यहां
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

क्या सन्नाटा सा छाया यहां,
बताए तो बताए कौन मुझे।
कौन फैला रहा अफवाहें यहां,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

जहां देखो चारों ओर शोर मचा है,
कोरोना, कोरोना सबकी जुबां पर।
कौन शोर मचा रहा बेवजह यहां,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

अरे इंसान नियम निभा वतन के,
मास्क दवाई दूरी जरूरी है।
कौन नियम निभा नहीं रहा यहां,
उसकी पाचन करनी जरूरी है।।

बीमारी लगी किसी को कोरोना की,
अछूत कौन उसे बना रहा।
कौन अपनों से उसे दूर करा रहा यहां,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

माना बीमारी जानलेवा है ये,
फिर भी उसका साथ निभाना है।
मास्क पहनो दूरी बनाकर,
उससे मिलने तो जाना है।
कौन अपनों को ही दूर करवा रहा यहां,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

चलता रहा यही सिलसिला तो,
नहीं फिर कोई यहां जिंदा रहा,
कौन ये सिलसिला चला रहा,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

जब जरूरत साथ निभाने की,
उससे नफरत कौन करा रहा।
कौन नफरत फैला रहा यहां,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

मैं तो साथ निभाऊंगा हर पल यहां,
नियम वतन के निभानें हैं।
कौन साथ निभाने नहीं देता यहां,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

दूर हो गया जो बीमारी के कारण,
वो भी किसी का अपना है।
अपनों से अलग होने का दुख ,
क्या कभी समझेगा इंसान यहां।
कौन ये दुःख दिला रहा यहां उसे,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

ऐसा ही करते रहे सभी अपने तो,
एक भी जिंदा नहीं कोई रहेगा।
फिर जीकर यहां क्या करोगे,
जब अपना न कोई साथ रहेगा।
कौन छुड़वा रहा साथ यहां,
उसकी पहचान करनी जरूरी है।।

कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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