हिमाचल की शिक्षिका अनुराधा कश्यप की कविता- कोरोना ने मचा रखा है बवाल
हर शख्स की ज़ुबान पर
सिर्फ एक ही सवाल
कोरोना ने मचा रखा है
चहु दिशा में बवाल
क्या जीवन की रेल
पटरी पर आएगी?
गली-मोहल्ले,चौराहे पर
बच्चों का शोर, किलकारियां
दोबारा सुनने को मिलेगी?
लोगो की आवाजाही?
वो गाड़ियों का चलना?
शहर की चहल पहल?
वो दोस्तों का मिलना?
हर गली हर मैदान
वीरान पड़ा है
कहीं भी नज़र घूमा लो
न कोई इंसान खड़ा है।
जीवन की ये कैसी घड़ी
आन पड़ी है
मौत से न डरने वालो के लिए
आज जान बड़ी है।
पर कुछ तो अच्छा है इस पल में,
बहुत कुछ कर गया
जो कर न पाए हम
कभी आने वाले कल में
क्या सोचा था ?……..
कभी गंगा का जल
अमृत बन
कल कल करता हुआ
अपने आँचल में
नवजीवन संजोयेगा
सुदूर पर्वत,
बर्फ से ढकी पहाड़ियां
सूरज की किरणों से
श्रृंगार कर
नव-नवेली दुल्हन के
सुर्ख जोड़े में
मिलों दूर तक
दमकती हुई नजर आएंगी?
सोचा था ?…
कभी हिरण का झुंड
हिचकोले भरता हुआ
शहर की वीरान सड़को में
मदमस्त हाथी की भांति
ठाठ से घूमता नज़र आएगा?
मोर अपने पँखों की
इंद्रधनुषी छटा बिखेरे
चौराहे पर अपने नृत्य से
प्रकृति का मन हर्षायेगा?
सोचा था ?……..
कभी आसमा
इतना साफ होगा कि
धरती को अपना अक्स
उसमे नज़र आएगा?
पेड़ झूम उठेंगे
बादल खुशी से नाचेंगे
नदियां गीत गाती हुई
पंछी चहचहाते हुए
धरा के नवनिर्माण का
स्वागत करेंगे?
ये नवनिर्माण नही ….
तो ओर क्या?
इसलिए अगर तेरे रुक जाने से
कुछ दिन सब थम जाने से
धरा को संजीवनी
मिलती है तो ठहर जा।
तू बहूत दौड़ा बहुत भागा
प्रकृति के दोहन के लिए
दिन-रात जागा ।
अब थोड़ा
नदियों को बहनें दे
हवाओं को चलने दे
पंछियो को चहचहाने दे
नवयौवन के गीत गाने दे।
वो दिन भी आएगा
जब प्रकृति तुझे
हंस के गले लगाएगी
आँचल में अपने खिलायेगी।
गली मोहल्ले की रौनक
सब लौट के वापिस आएगी।
बस उस पल के लिए
थोड़ा रुक जा ठहर जा
और इंतज़ार कर।
कवयित्री का परिचय
नाम- अनुराधा कश्यप (जेबीटी)
राजकीय प्राथमिक पाठशाला हाजल
शिक्षाखंड सुन्नी जिला शिमला
हिमाचल प्रदेश।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।