दृष्टि दिव्यांग डॉ. सुभाष रुपेला की कविता-जवाँ देशभक्ति
जवाँ देशभक्ति
दिल अभी तक जवान है प्यारे।
देश पे ये क़ुर्बान है प्यारे।।
मुझे चैन मिलेगा नहीं तब तक।
ज़िंदा पाकिस्तान है प्यारे।।
हरा दिया बाज़ औक़ात मग़र।
करता परेशान है प्यारे।।
करता सरहद पे गोलाबारी।
ये ख़ूनी शैतान है प्यारे।।
सही नहीं नमकहरामी कभी।
उतारना अहसान है प्यारे।।
ख़ून उबलता देख गद्दारी।
रहना सावधान है प्यारे।।
घटी अमरीकी पुश्तपनाही।
अब जीतना आसान है प्यारे।।
अब की जंग तबाहकुन होगी।
मिटना नामो-निशान है प्यारे।।
जोश कहाँ कम हुआ है रुपेला?
बुड्ढों में जवाँ जान है प्यारे।।
कवि का परिचय
डॉ. सुभाष रुपेला
रोहिणी, दिल्ली
एसोसिएट प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय
जाकिर हुसैन कालेज दिल्ली (सांध्य)
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।