बाल कवयित्री दीपिका की कविता-गांधी जी की पुण्यतिथि पर

गांधी जी की पुण्यतिथि पर
कितने अच्छे, कितने प्यारे।
मेरे बड़े निराले थे बाबू।
जो कहते कर के दिखलाते थे,
इसलिए वीर पुरुष कहलाते थे।
डांडी मार्च किया था जीवन में,
इसलिए थे प्यारे मेरे बापू।
कितने अच्छे, कितने प्यारे बापू,
मेरे बड़े निराले बाबू।
30 जनवरी 1948 का था दिन ,
प्यारे बापू गये हमसे छिन।
दिल्ली में स्थित बडला भवन मे,
नाथूराम गोडसे नाम का एक व्यक्ति आया।
पैर छुए धोखा देकर उसने,
धोखे से ही उसने बापू पर गोली चलाई।
याद की मैंने वो कुर्बानी है,
इसलिए लिखी मैंने ये जुबानी है।
कवयित्री का परिचय
कु. दीपिका
कक्षा -7
राजकीय पूर्व माध्यमिक, विद्यालय डोईवाला देहरादून, उत्तराखंड।





