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November 23, 2024

मेरे जैसे सभी वरिष्ठ नागरिकों को समर्पित कविता-डॉ. पुष्पा खण्डूरी

मेरे जैसे सभी वरिष्ठ नागरिकों को समर्पित कविता-डॉ. पुष्पा खण्डूरी।

ये सिमरन न करो
कि हम व्यस्क थे
या कि हम अब
वरिष्ठ हो रहे हैं
जिओ तो ये सोच के हर पल
कि जिन्दा हैं हम जब तक
जिन्दादिल है हम तब तक
जिम्मेदारियां निभा के अब
हम ज़िन्दगी के और भी
ज्यादा क़रीब हो रहे हैं ॥
किसी ने क्या ख़ूब कहा भी है –
ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है।
मुर्दादिल क्या खाक़ ज़िया करते हैं॥

कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रो. एवं हिंदी विभागाध्यक्ष
डीएवी (पीजी ) कालेज देहरादून, उत्तराखंड। (लेखिका देहरादून में डीएवी छात्रसंघ के पूर्व लोकप्रिय अध्यक्ष एवं भाजपा नेता विवेकानंद खंण्डूरी की धर्म पत्नी हैं। कविता और साहित्य लेखन उनकी रुचि है)

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

3 thoughts on “मेरे जैसे सभी वरिष्ठ नागरिकों को समर्पित कविता-डॉ. पुष्पा खण्डूरी

  1. आपकी रचना ‘पाँच लिंकों का आनन्द’ ब्लॉग पर साझा की गई है…

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