युवा कवयित्री शिवानी एम आर जोशी की कविता-जानते हैं गिरेंगे हर रोज चलने की कोशिश में
जानते हैं गिरेंगे हर रोज चलने की कोशिश में,
पर गिरने के डर से चले ही नहीं यह बात तो सही नहीं।
जानते हैं हजारों मुसीबतें आएंगी हर रोज जिंदगी में,
पर मुसीबतों से हार के जिंदगी ना जिए यह तो सही नहीं।
जानते हैं निश्चित नहीं है जीत हमारी हर जंग में,
पर हारने के डर से हम लड़े ही नहीं यह बात तो सही नहीं।
जानते हैं हजारों मुसीबतों का करना है सामना जिंदगी में,
पर मुसीबतों के डर से हम जिंदगी ना जिए यह बात तो सही नहीं।
जानते हैं हकीकत में मुकम्मल नहीं जो सब हो सपने मे,
पर इस डर से हम सपने ही ना देखें यह बात तो सही नहीं।
जानते हैं अकेले ही लड़ना है हर मुसीबत से जिंदगी में ,
पर इस बात से हम किसी को अपना ही ना बनाएं यह बात तो सही है।
जानते हैं बहुत सारी गलतियां हो जाती है हमसे अनजाने में,
पर हम उन गलतियों को ना सुधारें यह बात तो सही नहीं।
जानते हैं बहुत दुख दर्द तकलीफ और आशु देगी यह जिंदगी हमें,
पर हम मुस्कुराना ही भूल जाए यह बात तो सही नहीं।
लेखिका का परिचय
नाम-शिवानी एम आर जोशी
लेखिका अहमदाबाद गुजरात से है। वह पेशे से शिक्षिका हैं और विज्ञान की छात्रा हैं। वह कंपटीशन परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। लॉकडाउन के दौरान लेखन में रुचि बढ़ी और धीरे-धीरे एंथोलॉजी और कम्प्यूटेशन में भाग लेना शुरू कर दिया। पिछले कई दिनों से उन्होंने कई कविताओं के साथ लेख लिखे हैं। वर्तमान में वह Priun प्रकाशनों में एक परियोजना प्रबंधक और सन शाइन प्रकाशनों मे सह संस्थापक के रूप में काम कर रही हैं। उन्होंने कई एंथोलॉजी मे अपनी कविता लिखी है। भविष्य में डॉक्टर बनना उनका सपना है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर रचना