युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता-बस! देखते-देखते ये साल भी गुज़र गया

देखने सुनने और समझने में
ये साल भी गुजर गया,
गुज़र गया लम्हा साल का
कई अपने गुजरे तो
कई सपने गुजरे,
बस! देखते-देखते ये साल भी गुज़र गया।
अच्छे पलों के इंतजार में
कुछ ज़ख्मों को भुलाने में,
किसी के अभाव में
किसी के लगाव में,
बस! देखते-देखते ये साल भी गुज़र गया।
एक चुभन दे गया
एक आस ले आया,
सबक कई दे गया
मगर सीखा भी बहुत कुछ गया,
बस! देखते-देखते ये साल भी गुज़र गया।
कई राह छूटे, कई सपने टुटे
बिखरकर ख़ुद यूँ ख़ुद से ही
कई बार रूठे,
चाहे-अनचाहे कर फैसले तमाम
ठोकर खुद को दे बैठे,
बस! देखते-देखते ये साल भी गुज़र गया।
जाता हुआ ये साल का समय
बस स्वरुप अपना बदल गया,
मगर कर कुछ नया
पुराना ये साल सिखला गया,
बस! देखते-देखते ये साल भी गुज़र गया।
ये साल……
किसी के ख्याल में
किसी के इंतजार में
किसी के नजरंदाज में
किसी के इन्कार में,
कुछ अधूरे ख्वाबों में
कुछ अधूरी उलझनों में
कुछ अधूरी इच्छाओं में,
कहिं छिपे जज्बातों में
कहिं मिलन की आश में
कहिं दूरी की तड़पन में,
बस! देखते-देखते ये साल भी गुज़र गया।
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
पता – बिरिया, मझौला, खटीमा जिला उधम सिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद अब सरकारी नोकरी की तैयारी कर रही हैं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।