युवा कवि विनय अंथवाल की कविता- सशस्त्र बेटियाँ
बेटियाँ सशस्त्र हो,
न कोई अब निशस्त्र हो
मातृशक्ति एक हो,
जो न्यायहित में नेक हो।
कदम कदम में दुष्ट हैं
जो विवेक शून्य भ्रष्ट हैं।
कुछ तो रिश्तेदार हैं।
जो दुष्ट दागदार हैं।
बलात्कार महापाप है
अक्षम्य ये अपराध है।
ये मनुष्यता पे कलंक है।
ये मानवता का नाश है। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
दुराचारियों का अंत हो
अन्त भी तुरन्त हो।
किन्तु ना परन्तु हो,
अन्त अब तुरन्त हो।
दुराचार तब थमेंगे भी
दुराचारी तब डरेंगे भी।
उनका अंग भंग कटान हो
उनको मृत्युदंड का विधान हो।
नैतिक मूल्य घट रहे
दुष्ट धूर्त बढ़ रहे।
इनको अब तो रोक दो
इनको अब तो रोक दो।
विद्यालयों में आत्मरक्षा विषय हो
इसमें हर एक बच्चा सफल हो।
इंटरनेट का सदुपयोग हो
ये सभ्य शिष्ट राष्ट्र हो।
कवि का परिचय
नाम -विनय अन्थवाल
व्यवसाय-अध्यापन
मूल निवास-ग्राम-चन्दी (चारीधार) पोस्ट-बरसीर जखोली, जिला रुद्रप्रयाग उत्तराखंड।
वर्तमान पता-शिमला बाईपास रोड़ रतनपुर (जागृति विहार) नयागाँव देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।