युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता- बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग खुद के लिए बुरे होते हैं

बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग
खुद के लिए बुरे होते हैं
खुद को विचारों के आगोश में थामे
नहीं दे पाते हैं आजादी खुद को खुद के विचारों से ,
बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग
खुद के लिए बुरे होते हैं,
जिंदगी के पड़ाव में निर्णय को लेने में
वक्त का सारा बोझ कंधे में लादे
लम्बा वक्त बेवक्त को देकर
फ़िर तमाशाई का हिस्सा बन जाते हैं ,
बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग
खुद के लिए बुरे होते हैं (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
काम कोई बिगड़े, नाता कोई बिगड़े
या बिगड़े मिजाज किसी का
दोषी खुद को ही मानते हैं फिर
उलझाकर खुद को बेफ़िज़ुल ही
सब ठीक की नाकाम कोशिशों में लग जाते हैं,
बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग
खुद के लिए बुरे होते हैं (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
बात कोई खटक जाए
शंका मन में कोई गढ़ जाए
झूठ को सच के प्याले में परोसा जाए
ये कलाकारी की बाजारी
पकड़ने में माहिर होते हैं,
बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग
ख़ुद के लिए बुरे होते हैं, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
जज्बातों के गहरे समुद्र में समाकर
डूबने से खुद को बचाकर
ये मन से पक्के तैराकी में निपूर्ण होते हैं,
ज्यादा सोचने वाले लोग
खुद के लिए बुरे होते हैं,
सामाजिक तत्व में लुप्त सी छवि लिए
मन में गहरे तार्किक सवालों को समेटे
ये सबसे दरकिनारे रहते हैं,
ख़ुद को ऊंचा उठाने
किसी को नीचा दिखाने
इन दिखावी सौंदर्य से अलग रहते हैं,
ज्यादा सोचने वाले लोग
खुद के लिए बुरे होते हैं, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
सादगी भरा मिज़ाज
आकर्षण से भरपूर मुस्कान
ये स्वयं के रखवाले होते हैं
अधूरे किस्से, विश्वास की कमी , रिश्तों में नमी ,
जीवन में खालीपन समेटे ये रहस्यमई
एकांत के वासी होते हैं,
बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग
खुद के लिए बुरे होते हैं, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंत इन्हें बुरा बना देता है
हिस्सा किसी का बन जाए,
तो छीन लिया जाता है
विश्वास कहीं थोड़ा अधिक हो जाए,
तोड़ दिया जाता है
मन कहीं डगर से जुड़ जाए,
तो छोड़ दिया जाता है
बात कही साझा हो जाए,
तो साझेदारी बांट दी जाती है,
चाल कोई और चल जाता है
ये वैरागी सा हृदय सोचता रह जाता है,
और अंत में खामोशी को ओढ़े
ख़ुद ही बुरा बन जाता ह ,
कह नहीं पाते, सोचने का सफ़र ही तय नहीं कर पाते
निर्णय लेने में पीछे रह जाते हैं,
बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग
ख़ुद के लिए बुरे होते हैं।।
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
खटीमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।