शिक्षिका उषा सागर की कविता- मधुमास

मां सरस्वती के आगमन पर,
सजने लगी धरती सारी।
खिलने लगे फूल रंग बिरंगे,
वन, उपवन, खेतों में बारी-बारी।।
मधुमास आ गया निराला,
कूकने लगी कोयल प्यारी-प्यारी।
भौंरों के गुंजन से महक उठी,
सारी दुनिया जैसे कोई फुलवारी।।
पीले फूलों ने सरसों के,
सारे खेतों को है घेरा।
लाल,गुलाबी,नीले फूलों ने भी,
धरा पर है सुन्दर रंग बिखेरा।।
मां सरस्वती के स्वागत में बैठी है,
सज-धज कर प्रकृति सारी।
पीत वसन पहने हुए हैं,
घर-घर सारे नर-नारी।। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
आम्र मंजरी ने खुश्बू से अपनी,
घर आंगन को महकाया है।
गीत सुनाकर भंवरों ने,
मादकता को बिखराया है।।
पीत वसन,पीत पुष्प,पीत तिलक से ,
अभिनन्दन है मात तुम्हारा।
देकर शुभाशीष हमें
करो मात उद्धार हमारा।।
सौंदर्य और यौवन जब दिखे धरा पर,
है यह शुभ संदेश तुम्हारा।
गन्ध-सुगन्ध मकरन्द से,
अभिनन्दन है मधुमास तुम्हारा।।
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल
जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।