शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता- क्या हम स्कूल जा पाएंगे

क्या हम स्कूल जा पाएंगे
सोचा न था जीवन में,
ऐसे दिन भी आयेंगे।
कारण कोरोना के हम,
घर पर ही रह जाएंगे।।
कब खुलेंगे स्कूल हमारे,
क्या हम स्कूल जा पाएंगे।
अपने मन की ये पीड़ा,
हम किसको बतलाएंगे।
किससे पूछें किससे कहे हम,
साथियों संग कब, खेल पाएंगे।
प्रार्थना मधुर घंटी की आवाजें,
क्या भोर वंदना सुन पाएंगे।
राष्ट्रगान की धुन पर शायद,
क्या कभी खड़े हम हो पाएंगे।
गुरु शिष्य का नाता था जो,
साथ कभी क्या हम पायेंगे।
हम बच्चों के मन के आख़र,
क्या कापी पर छप पाएंगे।
ब्लैकबोर्ड जो भविष्य था हमारा,
क्या उस पर कुछ लिख पाएंगे।।
हमारे मन की निश्छल बातें,
क्या यूं ही सिमटकर रह जायेंगे।
शायद अब जीवनभर हम यूं ही,
ऑनलाइन ही रह जाएंगे।।
हंसी कैद कर दी मास्क में जिसने,
क्या उससे हम लड़ पायेंगे।
सुधर जाए इंसान यहां तो,
शायद स्कूल खुल पाएंगे।।
विनती करते हम सब बच्चे,
आप बड़े ही कुछ कर पाएंगे।
मास्क दूरी सफाई नियम निभाओ
तभी तो हम स्कूल जा पाएंगे।।
भाग जाएगा कोरोना एक दिन,
फिर हम स्कूल जा पाएंगे।।
फिर स्कूल जा पाएंगे,
फिर स्कूल जा पाएंगे?
कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।