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August 7, 2025

शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता- छाले बेरोजगारी के

श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।

छाले बेरोजगारी के

हे पथिक! मत कर छालों की परवाह,
आगे सफलता की मंजिल खड़ी है।
दौड़ता जा कांटों भरी राहो में,
उसे भी छाले मिटाने की पड़ी है।।

कई बाधाएं पड़ी हैं राहो में तेरे,
वो तुझसे लड़ने को खड़ी हैं।
पर तू हार न अपने छाले देखकर,
बढ़ता जा किस्मत आगे बड़ी है।।

डिग्रियां जो बंद संदूकों में पड़ी हैं,
वो बाहर आने को आतुर खड़ी हैं।
डिग्रियों से मिटा दे तू बेरोजगारी,
बंद रहकर अब काल बन पड़ी हैं।

मिटा दे तगमा बेरोजगारी का,
खुशियां तेरी राह में खड़ी है।
संकल्प ले खो गए जो सपने,
सौगात सपनों की राह में पड़ी हैं।

मिट गए वो छाले औंस की तरह,
जिन पर पहले हार लिखी है।
लड़ने की प्रतिध्वनि कर जोरों से,
सफलता तेरी राह में खड़ी है।।

प्रतिभा की कमी नहीं तुझमें,
यहां तो भ्रष्टाचार की गाड़ी खड़ी है
रोजगारी तो मिल जाती पर,
नहीं किसी को छालों की पड़ी है

सोचता हूं कुछ कर पाएगा तू,
रिश्वत की झोली खाली पड़ी है।
कैसे भरेगा इन झोलीयों को तू,
डिग्रियां ही तेरे पास पड़ी हैं।।

बदलेगा वक्त जरूर एक दिन,
तेरी पीड़ा यहां सबसे बड़ी है।
भ्रष्टाचार मिटेगा जरूर एक दिन,
लड़ने को वेरोजगार सेना खड़ी है

पर रुदन न कर हृदय से अब,
भ्रष्टाचारी की सोच बदल पड़ी है।
जरूर एक दिन कहेगा वो तुमसे,
रिश्वत नहीं, तेरी डिग्रियां बड़ी है।।
तेरी डिग्रियां बड़ी है, बड़ी है, बड़ी हैं।।

कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता- छाले बेरोजगारी के

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