पीएम आवास योजना, घर बनने से पहले बेवफा हुई पत्नियां, पहली किश्त लेकर प्रेमी संग फरार हुई चार महिलाएं
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। पीएम आवास योजना के तहत लाभार्थी का घर तो नहीं बना, लेकिन परिवार जरूर टूट गया। यहां सरकार की ओर से पीएम आवास के लिए पहली किस्त मिलते ही पत्नियां बेवफा हो गईं। चार महिलाएं अपने-अपने पतियों को छोड़कर प्रेमियों के साथ फरार हो गईं हैं। वहीं पत्नियों के भागने से परेशान पतियों के सामने दो समस्याएं खड़ी हो गई हैं। अभी तक निर्माण कार्य शुरू न कराने के चलते जिला नगरीय विकास अभिकरण ने उन्हें नोटिस भेजा है। दूसरी समस्या ये है कि विभाग की ओर से रिकवरी का खौफ पैदा हो गया है। वहीं अब पीड़ित पति समझ नहीं पा रहे कि आखिर वह करें तो क्या करें। इसके बाद सभी पीड़ित पतियों ने पीओ डूडा के पास दूसरी किस्त खाते में न भेजे जाने की गुहार लगाई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किस्त जारी करने के एक साल बाद भी निर्माण शुरू नहीं करने पर जब नोटिस जारी की गई तो पतियों ने डूडा कार्यालय पहुंचकर इसका खुलासा किया। साथ ही दूसरी किस्त भेजने पर रोक लगाने की मांग की। इस पर इन्हें 15 दिनों की मोहलत दी गई है। यदि इसके बाद भी ये लोग पत्नियों को वापस नहीं ला सके तो रिकवरी का नोटिस जारी किया जाएगा। नोटिस जारी होने के बाद फतेहपुर कस्बे के दो पतियों ने मंगलवार को डूडा कार्यालय में परियोजना अधिकारी के सामने पेश होकर बताया कि पहली किस्त का पैसा 50 हजार रुपये जैसे ही पत्नियों के खाते में पहुंचा उसके कुछ दिन बाद ही दोनों अपने प्रेमियों के संग फरार हो गईं। काफी खोजबीन की गई, लेकिन दोनों कोई पता नहीं चल सका है। इस पर इन लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर दूसरी किस्त न भेजने का अनुरोध किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डूडा कार्यालय से बेलहरा, बंकी, जैदपुर और सिद्वौर की चार महिला लाभार्थियों को पहली किस्त के रूप में 50 हजार रुपये भेजे गए थे। निर्माण कार्य शुरू न होने पर पीओ डूडा सौरभ त्रिपाठी ने सभी को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया। पीओ ने बताया कि मंगलवार को इन सभी के पति कार्यालय में पेश हुए थे और बताया कि इनकी पत्नियां प्रेमी संग चली गई हैं। इस पर इन्हें 15 दिन की मोहलत दी गई है इसके बाद भी निर्माण शुरू नहीं होता है तो रिकवरी की नोटिस जारी किया जाएगा।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।