पितरों की स्मृति में करें पौधरोपण, तभी होगा प्रकृति का श्रृंगारः प्रभात नौटियाल
गंगा कथा व्यास प्रभात नौटियाल ने कहा कि पितरों को तर्पण के साथ ही हमें अपने मन की बुराइयों को भी त्याना चाहिए। साथ ही पितृ स्मृति में एक वृक्ष का रोपण भी किया जाना चाहिए। तभी यह प्रकृति सुंदर रहेगी। मानव स्वस्थ रहेगा। प्रकृति का श्रृंगार होगा। उत्तरकाशी के ग्राम गोरसाली में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा यज्ञ पर मुख्य कथा वाचक के रूप में उन्होंने यह उदगार व्यक्त किए।
इस मौके पर गंगोत्री धाम के स्वामी राघवानंद सरस्वती ने कहा कि मेरे परम पूज्य गुरुदेव साधना के भाव से हिमालय की इस भूमि में आए। जहां उन्होंने इस हिमालय क्षेत्र में टकनौर क्षेत्र में तपस्या और साधना में आनंद का अनुभव किया। वहीं इस क्षेत्र के सर्वोत्कृष्ट ग्राम गोरसाली में जो आनंद हुआ वह अवर्णीय है। कहा कि यहां नैसर्गिक सुंदरता है। यहां के लोग मिलनसार हैं। यहां सनातन की जो परंपरा है, उसे आगे भी कायम रखा जाए।
साथ ही उन्होंने कहा कि यहां के किसानों को वह जैविक खेती के संबंध में जानकारी देंगे। साथ ही युवाओं को उच्च शिक्षा के साथ ही वेद वेदांग कर्मकांड आदि की शिक्षा के भरसक प्रयास किए जाएंगे। इस दौरान मंडप आचार्य पंडित प्रधुमन नौटियाल, आयोजक लीला प्रसाद शिव प्रसाद भट्ट, जी के साथ ही ग्रामीणों की ओर से यज्ञ में वेद पाठी पुरोहितों से वेद मंत्रों से हवन आदि करवाया जा रहा है। पं रवीन्द्र सेमवाल, जगतराम नोटियाल, व्यास अनिल प्रसाद भट्ट ने भी ग्रामीणों को धर्म व आध्यात्म के महत्व को विस्तार से समझाया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।