पितृ पक्ष आरंभ, 26 सितंबर को नहीं है श्राद्ध की तिथि, जानिए श्राद्ध पर्व का महत्वः आचार्य शुभम उपाध्याय
इस साल 20 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं। साथ ही विशेष बात ये है कि 26 सितंबर को श्राद्ध कि तिथि नहीं है। साथ ही इस वर्ष 6 अक्टूबर को अश्वनी कृष्ण पक्ष बुधवार को शाम 4:35 तक गज छाया योग रहेगा।

पितृ पक्ष का महत्व
ब्रह्म पुराण के अनुसार, पितृ पक्ष में विधि विधान से तर्पण करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। स्नान इत्यादि कर, ब्राह्मण के सानिध्य में आचमन, पवित्रीधरण, ग्रन्थिबन्धन, सफेदचंदन का मस्तक पर लेप उपरान्त कुशा से विश्वेदेवा का निर्माण करके स्थापित करें। कुशा के द्वारा काँसे के पात्र में देवर्षिमनुष्यपितृ तर्पण कर इस तर्पण कार्य की पूर्ति कर पितरों को तृप्त करें। यह भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष में जो भी अर्पण किया जाता है वह पितरों को मिलता है। पितृ अपना भाग पाकर तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जो लोग श्राद्ध नहीं करते उनके पितरों को मुक्ति नहीं मिलती और फिर पितृ दोष लगता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितरों को श्राद्ध या पूजा करना आवश्यक है।
माता से पूर्व पिता का किया जाता है श्राद्ध
स्थानीय परंपरा के अनुसार ही श्राद्ध कार्य उचित है। परम्परा अनुसार जहाँ पिण्ड दान भी दिया जाता है, वहाँ स्नान इत्यादि कर ब्राह्मण सहित उनके आदेशानुसार तर्पण के पश्चात पिण्डदान करना चाहिए। इस श्राद्ध पक्ष में माता के श्राद्ध से पूर्व पिता का श्राद्ध करने को कहा गया है। यद्यपि माता का श्राद्ध प्रथम ही क्यों न आ रहा हो। तभी, अष्टमी के श्राद्ध को (पितृश्राद्ध) और नवमी के श्राद्ध को (मातृनवमी) कहा गया है।
इस तरह बनाए जाते हैं पिंड
पितृ श्राद्ध में छः पिण्ड और दो बलि बनाए जाते हैं। यानी पिताजी, दादाजी, परदादाजी और नानाजी, परनानाजी, वृद्ध परनानाजी सपत्नीक। मातृ श्राद्ध में नौ पिण्ड और तीन बलि बनाए जाते हैं। इसमें पिताजी, दादाजी, परदादाजी, माताजी, दादीजी, परदादीजी और नानाजी, परनानाजी, वृद्ध परनानाजी सपत्नीक। पिण्ड निर्माण के लिए आठ तत्वों का प्रयोग किया जाता है। ये तत्व हैं-अन्न, गाय का दूध, घी, शहद, शक्कर, तुलसीपत्र, गंगाजल और कृष्णतिल।
पितृ पक्ष 2021 की श्राद्ध की तिथियां
पहले दिन: पूर्णिमा श्राद्ध: 20 सितंबर (सोमवार) 2021
दूसरे दिन: प्रतिपदा श्राद्ध: 21 सितंबर (मंगलवार) 2021
तीसरे दिन: द्वितीय श्राद्ध: 22 सितंबर (बुधवार) 2021
चौथा दिन: तृतीया श्राद्ध: 23 सितंबर (गुरूवार) 2021
पाँचवां दिन: चतुर्थी श्राद्ध (महाभरणी): 24 सितंबर (शुक्रवार) 2021
छठा दिन: पंचमी श्राद्ध: 25 सितंबर (शनिवार) 2021
सातवां दिन: षष्ठी श्राद्ध: 27 सितंबर (सोमवार) 2021
आठवां दिन: सप्तमी श्राद्ध: 28 सितंबर (मंगलवार) 2021
नौवा दिन: अष्टमी श्राद्ध (पितृ अष्टमी): 29 सितंबर (बुधवार) 2021
दसवां दिन: नवमी श्राद्ध (मातृनवमी): 30 सितंबर (गुरूवार) 2021
ग्यारहवां दिन: दशमी श्राद्ध: 01 अक्टूबर (शुक्रवार) 2021
बारहवां दिन: एकादशी श्राद्ध: 02 अक्टूबर (शनिवार) 2021
तेरहवां दिन: द्वादशी श्राद्ध, संन्यासी, यति, वैष्णवजनों का श्राद्ध: 03 अक्टूबर 2021
चौदहवां दिन: त्रयोदशी श्राद्ध: 04 अक्टूबर (रविवार) 2021
पंद्रहवां दिन: चतुर्दशी श्राद्ध (विष, शस्त्रादि से दुर्मरण वालों का श्राद्ध): 05 अक्टूबर (सोमवार) 2021।
सोलहवां दिन: अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात तिथि पितृ श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या समापन- 06 अक्टूबर (मंगलवार) 2021,
इस वर्ष पितृ पक्ष के दौरान 26 सितंबर के दिन श्राद्ध नहीं किया जाएगा। कहा जाता है विधि पूर्वक श्राद्ध करने से जीवन में आ रही मुश्किलें समाप्त होती हैं तथा पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आचार्य का परिचय
नाम- आचार्य शुभम् उपाध्याय
पता- लाजपत नगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद।
शिक्षार्जन- आचार्य (M.A) साहित्य से।
संपर्क सूत्र- 9717838044, 999940613
स्थान- साहिबाबाद, गाजियाबाद (उ०प्र०)
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।