ऊर्जा प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती से जनता बेहाल, सूखे पड़े हैं घर घर नल योजना के नलः करन माहरा
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य में बिजली और पानी की व्यवस्था को लेकर बीजेपी सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने प्रदेशभर में की जा रही अघोषित बिजली कटौती पर नाराजगी व्यक्त की। कहा कि भीषण गरमी का मौसम शुरू हो गया है और सरकार की ओर से राज्य में की जा रही अघोषित बिजली कटौती से जनता बेहाल है। वहीं घर घर नल योजना मजाक बन गई है। नल तो हैं, लेकिन जल नहीं है। इसी तरह किसानों की फसलों को सिंचाई का पानी तक उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में फसल चैापट होती जा रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने कहा कि सरकार ने बिजली के दामों में लगातार वृद्धि करने में तो कोई देरी नहीं की। इसके बावजूद उपभोक्ताओं को सुविधा देने में सरकार विफल रही है। बार बार बिजली गुल रहने का असर पेयजल व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। जैसे ही पानी की आपूर्ति का समय रहता है तो बिजली गुल कर दी जाती है। वहीं, जल संस्थान कर्मचारी भी ट्यूबवैल चलाने के समय तक ही बिजली का इंतजार करते हैं। यदि बिजली देरी से आए तो नलकूप उसी दिन नहीं चलाया जाता है। ऐसे में राजधानी देहरादून के कई इलाकों में पेयजल संकट गहराने लगा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सरकार को आमजन की इन दिक्कतों से कोई लेना देना नहीं है। सरकार को केवल अपना खजाना भरने की चिंता है। करन माहरा ने कहा कि यही हाल सरकार की घर-घर नल योजना का भी है। सरकार ने जनता के धन की बर्बादी करते हुए गांवों में नल तो लगा दिये, परन्तु इन नलों में पानी कहां से आएगा, इसकी कोई व्यवस्था नहीं की। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जनपदों के मूल स्रोत सूख चुके हैं। तथा मैदानी क्षेत्रों में कई इलाके डार्क जोन में पहुंच गये हैं। ऐसे में सरकार की घर-घर नल योजना कहां तक कारगर हुई। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जनता के धन का दुरुपयोग कर लोगों के घरों में लगाये गये पानी के नल मात्र शो पीस बनकर रह गये हैं। वहीं बजट को ठिकाने लगाने के लिए जगह जगह पेयजल लाइनें बिछाई जा रही हैं। इन लाइनों में पानी कहां से आएगा, इसका पता ना सरकार को है और ना ही विभाग को। उन्होंने यह भी कहा कि घर-घर नल योजना में भारी घोटाले एवं भ्रष्टाचार की शिकायतें भी मिली हैं, जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पूरे देश में भीषण गर्मी का मौसम शुरू हो गया है तथा जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है उत्तराखण्ड राज्य के कई क्षेत्रों में पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक पेयजल स्रोतों पर अधिकतर लोगों की निर्भरता रहती है, परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों के लगभग 50 प्रतिशत पेयजल श्रोत माह अप्रैल से ही सूख जाते हैं। बढती गर्मी के प्रकोप के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों के कई जनपदों में स्थानीय लोगों को भारी पेयजल की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। स्वयं मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र चम्पावत में लोगों को कई किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में उत्तराखंड राज्य में चारधाम यात्रा एवं पर्यटन काल अपने चरम पर है। पर्यटन एवं तीर्थाटन राज्य के लोगों की आय का प्रमुख स्रोत हैं, परन्तु राज्य सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्रों में घोर पेयजल संकट पैदा हो गया है। स्थानीय ग्रामीण जनता के साथ-साथ उत्तराखण्ड के टूरिस्ट स्थलों के होटल व्यवसायियों एवं अन्य प्रदेशों से राज्य में आने वाले पर्यटकों एवं तीर्थ यात्रियों को भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि गम्भीर पेयजल संकट से निपटने के लिए आवश्यक है कि पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल संकट का शीघ्र आंकलन कर उससे निपटने के उपाय किये जाएं। ताकि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों तथा पर्यटन एवं तीर्थाटन स्थलों पर पेयजल संकट से निजात मिल सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में कांग्रेस सरकार द्वारा इसी प्रकार के पेयजल संकट से निपटने के लिए पेयजल संकटग्रस्त क्षेत्रों में खच्चरों के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति करने का निर्णय लिया था, परन्तु वर्तमान भाजपा सरकार को जनता की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है। करन माहरा ने सरकार से बिजली के बढ़े हुए दाम वापस लिये जाने, अघोषित बिजली कटौती तत्काल बंद किये जाने एवं पंयजल संकटग्रस्त क्षेत्रों में वैकल्पिक माध्यमों से पेयजल उपलब्ध कराने की मांग की है।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।