जोशीमठ में उमड़ा जनसैलाब, एनटीपीसी के खिलाफ किया प्रदर्शन
उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में भू-धंसाव के रूप में आई आपदा को लेकर अब लोगों का गुस्सा फूटता जा रहा है। हालांकि, सरकार कुछ और कह रही है, लेकिन अधिकांश लोग भूधंसाव का कारण एनटीपीसी की टनल की खुदाई को मान रहे हैं। ऐसे में अब टनल के विरोध में और विभिन्न मांगो को लेकर स्थानीय लोगों सड़कों पर उतर आए। शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग जोशीमठ संघर्ष समिति के बैनर तले नगर पालिका परिषद के सामने एकत्रित हुए। आंदोलनकारियों ने एनटीपीसी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बता दें कि अभी तक जोशीमठ में 863 भवनों में दरारें दर्ज की गई हैं, जबकि 181 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। वहीं, होटल मलारी इन और माउंट व्यू के ध्वस्तीकरण का काम जारी है। साथ ही आपदा प्रभावित लोगों को शिविरों में रखा गया है। इसके साथ ही आपदा प्रभावितों के लिए फैब्रिकेटेड हट बनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने आपदा के कारण जानने को लेकर अध्ययन भी किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस रूप में आई आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में धंसते जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण 600 से ज्यादा घरों में दरारें आ गई थी। हाईवे दरक गए। भवन और मकानों में दरारें आ गई। कई मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है। कई स्थानों पर पानी के स्रोत फूट गए। ऐसे में प्रभावित परिवारों को उनके घर खाली करने का आदेश दे दिया गया था। साथ ही चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों पर स्थानीय निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। राज्य सरकार ने कहा था कि जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं और उन्हें खाली करना है। उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए मकान किराए के रूप में 5000 रुपये प्रति माह मिलेंगे। साथ ही प्रभावितों को फौरी सहायता के रूप में डेढ़ लाख रुपये दिए जा रहे हैं।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।