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March 15, 2025

पेगासस स्पाईवेयर ने हैक किए भारतीय नेताओं और पत्रकारों के फोन, विपक्ष का हमला, जानिए क्या है ये स्पाइवेयर

भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डाटाबेस में पाए गए हैं, जिन्हें इजरायली स्पाईवेयर पेगासस Pegasus के इस्तेमाल से हैक किया गया है।

भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डाटाबेस में पाए गए हैं, जिन्हें इजरायली स्पाईवेयर पेगासस Pegasus के इस्तेमाल से हैक किया गया है। द वायर सहित 16 मीडिया संस्थानों की पड़ताल में यह जानकारी सामने आई है। रविवार शाम को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि लीगल कम्यूनिटी मेंबर्स, बिजनेसमैन, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, कार्यकर्ताओं और अन्यों के नंबर इस लिस्ट में शामिल हैं। इस लिस्ट में 300 से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबर हैं। हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस सहित बड़े मीडिया संस्थानों के बड़े पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया है।
चुनावों के दौरान बनाया गया निशाना
द वायर (The Wire) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2019 के लोकसभा आम चुनावों से पहले 2018 और 2019 के बीच ज्यादातर को निशाना बनाया गया। पेगासस को बेचने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप का दावा है कि वह अपने स्पाईवेयर केवल अच्छी तरह से जांची-परखी सरकारों को ही ऑफर करती है।
सरकार की ओर से आइ सफाई
इस मामले पर सरकार की ओर से भी सफाई आ गई है। सरकार ने हैकिंग में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि-विशेष लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार या इससे जुड़ी सच्चाई नहीं है। वहीं, द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने पेगासस (Pegasus) स्पाइवेयर की खरीद या उपयोग से स्पष्ट रूप से इनकार नहीं किया।
मीडिया के सवालों का सरकार का जवाब
मीडिया के सवालों के जवाब में आईटी मंत्रालय ने कहा कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है जो अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार के बयान में कहा गया है कि इसको आगे बढ़ाते हुए सरकार की ओर से डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 लाया गया, ताकि व्यक्तिगत डेटा की रक्षा की जा सके और सोशल मीडिया यूजर्स को सशक्त बनाया जा सके।
सरकार के पास छिपाने को कुछ नहीं
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्र के मुताबिक डरने की कोई बात नहीं है और सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। हम हर सवाल का जवाब देंगे। न्यूज आर्टिकल से कुछ भी साबित नहीं होता। वास्तव में, पेगासस को सरकार के साथ से जोड़ने के पहले भी प्रयास हुए हैं जो कि विफल रहे हैं।
सरकार बताए कि स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं
भारतीय नेताओं, पत्रकारों और कारोबारियों के फोन हैकिंग के मामले में विपक्ष सरकार की सफाई से संतुष्ट होता नहीं दिख रहा है। संसद के आज से शुरू हो रहे मानसून सत्र के पहले एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं। ओवैसी ने ट्वीट कर सवाल दागा कि फोन हैकिंग के लिए पेगासस (#Pegasus) स्पाईवेयर का इस्तेमाल हैकिंग है, “अधिकृत इंटरसेप्शन” या टैपिंग नहीं। हैकिंग (Hacking) एक अपराध है। फिर चाहे यह किसी व्यक्ति न की हो या फिर सरकार ने। सरकार को यह स्पष्ट तौर पर दो चीजें बतानी होंगी। पहली ये कि क्या उसने एनएसओ स्पाईवेयर (NSO spyware) का इस्तेमाल किया है या नहीं। दसूरी ये कि क्या आपने न्यूज रिपोर्ट्स में लिए गए नामों को इसके दायरे में लिया था या नहीं।
क्या है पेगासस
पेगासस को बनाने वाले एनएसओ ग्रुप ने अपनी ट्रांसपेरेंसी और रिस्पॉसिबिल‍िटी रिपोर्ट 2021 में कहा है कि इसके उत्पाद सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से सत्यापित सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल के लिए ही बने हैं। कंपनी कहती है कि हम पेगासस का लाइसेंस केवल स्वीकृत, सत्यापित और अधिकृत सरकारों और सरकारी एजेंसियों को देते हैं। विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रमुख कानूनी जांच में उपयोग किए जाने के लिए।
वर्ष 2016 से मौजूद है ये स्पाइवेयर
पेगासस को इज़राइल स्थित साइबर इंटेलिजेंस और सुरक्षा फर्म NSO ग्रुप की ओर से विकसित किया गया था। माना जाता है कि यह स्पाइवेयर 2016 से ही मौजूद है और इसे क्यू सूट और ट्राइडेंट जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। बाजार में उपलब्ध ऐसे सभी उत्पादों में सबसे परिष्कृत माना जाता है। यह ऐप्पल के मोबाइल फोन ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस और एंड्रॉइड डिवाइसों में घुस सकता है। पेगासस का इस्तेमाल सरकार की ओर से लाइसेंस के आधार पर किया जाना था। मई 2019 में, इसके डेवलपर ने सरकारी खुफिया एजेंसियों और अन्य के लिए पेगासस की बिक्री सीमित कर दी थी।
कंपनी का ये है दावा
एनएसओ ग्रुप की वेबसाइट के होम पेज के अनुसार कंपनी ऐसी तकनीक बनाती है जो दुनिया भर में हजारों लोगों की जान बचाने के लिए आतंकवाद और अपराध को रोकने और जांच करने में मदद के लिए सरकारी एजेंसियों की मदद करती है।
ऐसे काम करता है पेगासस स्पाईवेयर
– इज़रायल के NSO ग्रुप ने पेगासस स्पाईवेयर बनाया
– आईफ़ोन और एंड्रॉयड फोन में घुसपैठ करने में सक्षम
– Whatsapp में एक खामी का पेगासस ने इस्तेमाल किया
– हानिकारक लिंक या मिस्ड Whatsapp वीडियो कॉल से ऐक्टिवेट
– स्पाईवेयर फ़ोन के बैकग्राउंड में चुपचाप सक्रिय
– फ़ोन के कॉन्टैक्ट, मैसेज, डेटा तक पूरी पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा भी ऑन कर सकता है
– Whatsapp ने अपनी खामी अब सुधार ली है
फोन में घुसता है स्पाईवेयर
– Whatsapp पर वीडियो कॉल आती है
– एक बार फ़ोन की घंटी बजते ही हमलावर हानिकारक कोड भेज देता है
– ये स्पाईवेयर फ़ोन में इंस्टॉल हो जाता है
– ऑपरेटिंग सिस्टम पर कब्ज़ा कर लेता है
– मैसेज, कॉल, पासवर्ड तक स्पाईवेयर की पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा तक भी स्पाईवेयर की पहुंच

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