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November 8, 2024

इस अस्पताल में पांच मिनट बंद की गई ऑक्सीजन, देखा जा रहा था कि कितने मरीज मर सकते हैं, वीडियो हुआ वायरल

उत्तर प्रदेश के आगरा के एक अस्पताल के संचालक का ऑडियो वायरल होने के बाद से बवाल मचा हुआ है। दरअसल ये वीडियो 26 अप्रैल का है, जब यहां कोरोना संक्रमितों की काफी तादाद थी और कई लोगों की जान भी जा रही थी।

उत्तर प्रदेश के आगरा के एक अस्पताल के संचालक का ऑडियो वायरल होने के बाद से बवाल मचा हुआ है। दरअसल ये वीडियो 26 अप्रैल का है, जब यहां कोरोना संक्रमितों की काफी तादाद थी और कई लोगों की जान भी जा रही थी। वायरल ऑडियो में संचालक ये कहते हुए सुना जा सकता है कि उसने अपने अस्पताल में ऑक्सीजन 5 मिनट के लिए बंद कर एक मॉक ड्रिल किया था। इस ड्रिल के बाद ऐसे 22 मरीजों की पहचान की गई जिनकी ऑक्सीजन की कमी से मौत हो सकती थी। हालांकि संचालक किसी मरीज के मौत की बात नहीं कर रहा है।
ये वीडियो उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के पारस अस्पताल का है। इसमें अस्पताल के संचालक बता रहे हैं कि 26 अप्रैल की सुबह सात बजे ऑक्सीजन बंद करने की मॉकड्रिल की गई। मॉकड्रिल में 22 मरीजों की मौत हो गई थी। 74 मरीज बचे जिनके तीमारदारों से ऑक्सीजन सिलिंडर मंगाए गए। इस मामले में जिलाधिकारी पीएन सिंह का कहना है कि मामले की न्यायिक जांच कराई जाएगी।
जिस समय आगरा में कोरोना संक्रमण पीक पर चल रहा था। उस समय आगरा के पारस अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे। इस कथित मॉक ड्रिल के बाद 22 मरीज कम हो गए। उस समय सर्वाधिक मौतें भी इसी अस्पताल में हुई थीं। मॉक ड्रिल का समय सुबह 7 बजे बताया जा रहा है।
जिलाधिकारी बोले 26 को 4 और 27 अप्रैल को हुई थीं 3 मौतें
जिलाधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि जैसा कि वायरल वीडियो में बताया जा रहा है कि 22 मरीजों की मौत हुई इसमे सत्यता नहीं है। 26 अप्रैल को पारस हॉस्पिटल में कुल 97 मरीज भर्ती थे और 26 तारीख को चार मरीजों की मौत हुई थी। 27 अप्रेल को 3 मरीजों की मौत हुई थी। जनपद में एक दो दिन ऑक्सीजन की किल्लत हुई थी। जल्द ही सप्लाई शुरू होने सब ठीक हो गया था। बाकि जो वीडियो सामने आए है उनकी जांच की जाएगी और विधिक कार्यवाही की जाएगी।
संचालक ने दी सफाई
पारस हॉस्पिटल के संचालक डॉ अरिंजय जैन ने कहा कि वीडियो में जो बताया जा रहा है ऐसा नहीं है। हमनें मरीजों के ऑक्सीजन लेवल को जांचने के लिए एक प्रयास किया था, क्योंकि उन दिनों ऑक्सीजन की भारी किल्लत थी। हम मरीजों को बचाना चाहते थे। इसलिए अपने आईसीयू स्टाफ के साथ सभी मरीजों का ऑक्सीजन लेवल जांचने के बात की जा रही थी।
उन दिनों ऑक्सीजन को किल्लत थी और हम ये देखना चाहते थे कि अगर ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो जाती है या समय पर नहीं मिल पाती है तो वो कौन से मरीज होंगे जिन्हें हाई लेवल ऑक्सीजन की जरूरत होगी। उसी पर हम चर्चा कर रहे थे और जिस तारीख की बात की जा रही है। उस तारीख का पूरा डेटा सीएमओ ऑफिस को रोजाना दिया जाता था, ये वीडियो क्यों वायरल हुई किसने वायरल की मुझे जानकारी नहीं है।
पहली लहर में कोरोना फैलाने का लग चुका है आरोप
कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान भी पारस हॉस्पिटल खासी सुर्खियों में रहा था। आरोप है कि इस अस्पताल से प्रदेश के 10 जिलों में कोरोना फैल गया था. अस्पताल पर महामारी फैलाने का आरोप लगा था। चिकित्सक और उसके मैनेजर के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा भी दर्ज हुआ था।
वायरल वीडियो में ये बोल रहे संचालक
वायरल वीडियो में डॉ. अरिंजय जैन अपने सामने बैठे और खड़े कुछ लोगों से 26 अप्रैल को लेकर बातचीत कर रहे हैं। इसमें वह कह रहे हैं- आगरा के सबसे बड़े ऑक्सीजन सप्लायर का फोन आया। बोला- कत्ल की रात है। सुबह तक का माल है। सप्लायर बोला, मुख्यमंत्री भी नहीं मंगा सकते ऑक्सीजन। मोदी नगर- गाजियाबाद ड्राई हो गया। दिल्ली से गाड़ी नहीं आ रही। इसलिए मरीजों को डिस्चार्ज करो।
ऑक्सीजन डीएम नहीं देंगे? कहां से देंगे। हाथ-पैर फूल गए। कोविड-नान कोविड 96 मरीज भर्ती थे। रात को एक बजे मरीजों को संबोधित एक नोटिस (आवश्यक सूचना) बनाया और सभी वार्डों में पढ़कर सुनाया। वायरल न हो जाए इसलिए कहीं नहीं चिपकाया। रात ढाई बजे अस्पताल में हड़कंप मच गया। पब्लिक एकत्र हो गई। लॉबी में आकर सबसे बात की। सबको समझाया। कोई भी जाने को तैयार नहीं। बोले-बाहर न बेड हैं न ऑक्सीजन। मरीज कहां लेकर जाएंगे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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