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December 12, 2024

विभिन्न विभागों में डाउग्रेड वेतनमान के खिलाफ सचिवालय संघ में आक्रोश, शासन के अधिकारियों के साथ बैठक में रखी समस्या

उत्तराखंड में वित्त विभाग की ओर से वेतन विसंगति समिति की संस्तुति पर मंत्रिमंडल की ओर से कराये गये सचिवालय सहित विभिन्न विभागों के डाउनग्रेड वेतनमान के विरूद्ध सचिवालय संघ में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसे लेकर सचिवालय संघ ने सचिवालय परिसर में रैली का आह्वान किया था। इससे शासन के अधिकारी हरकत में आए और संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्यमंत्री की ओर से अपर मुख्य सचिव, वित्त को दिये गये निर्देशों के क्रम में अपर मुख्य सचिव वित्त आनन्द वर्धन की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में सचिव मुख्यमंत्री व गोपन शेलेष बगोली, सचिव वित्त सौजन्या, सचिव सचिवालय प्रशासन विनोद कुमार सुमन) व अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद) की उपस्थित थे। इस बैठक में सचिवालय संघ के पदाधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में संघ की ओर से अध्यक्ष दीपक जोशी ने महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए। उन्होंने आरोप लगाया गया कि सचिवालय सेवा संवर्ग के वेतनमानों की समानता केद्र सरकार से की जा रही है, जबकि केंद्र सरकार से वेतनमान की कोई समानता नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि पुनर्गठन अधिनियम की धारा 74 एवं 86 में प्राप्त लाभों के संरक्षण के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सचिवालय में उच्चीकृत किये गये समीक्षा अधिकारी एवं अनुभाग अधिकारी तथा अन्य समकक्षीय पदों के वेतनमान के अनुरूप राज्य में मुख्य सचिव (पदेन) की अध्यक्षता में समय-समय पर सम्पन्न बैठक की संस्तुति पर वर्तमान धारित वेतनमान अनुमन्य किये गये है। उन्हें बिना औचित्य व कारण इंगित किये मात्र केन्द्रीय सचिवालय की समकक्षता दिखाकर डाउनग्रेड किये जाने का निर्णय आला अधिकारियों की ओर से सरकार को गुमराह करने वाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बैठक में कहा गया कि मात्र सचिवालय सेवा को टारगेट करते हुये वेतनमान डाउनग्रेड किये जाने का त्रुटिपूर्ण निर्णय सरकार की किरकीरी कराने व सरकार की छवि को अनावश्यक धूमिल करने का प्रयास है। जहां एक ओर आला अधिकारियों द्वारा सचिवालय सहित छोटे-छोटे विभागों व कर्मचारियों के वेतन कम करने पर राज्य की आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला दिया गया, वहीं दूसरी ओर राज्य की आर्थिक स्थिति खराब होने की दशा में सभी सेवा संवर्गों पर एक समान मापदंड रखे जाने के लिए सर्वप्रथम अखिल भारतीय सेवा के ढांचे को छोटा करने का निर्णय लेते हुये आला अधिकारी सरकार के समक्ष एक सन्देश देने का कार्य करें। साथ ही अपने बडे़ होने की मिसाल पेश करते हुये राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुये आइएएस संवर्ग का ढांचा, जो 120 पदों से बढ़ाकर हाल ही में 125 किया गया है, को सीमित करते हुये 80-90 पदों का किया जाय। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

संघ पदाधिकारियों ने कहा कि सरकारी आवासों पर सरकारी मानदेय पर रखे गये कैम्प सहायकों की व्यवस्था को समाप्त किया जाय, आला अधिकारियों स्वयं की सुख सुविधा में लगी 08-10 सरकारी गाड़ियों का त्याग कर राज्य हित में 01 अधिकारी-01 वाहन के फार्मूले पर शासकीय दायित्वों का निर्वहन करें। पीसीएस एवं वित्त सेवा का ढांचा एवं बडी हुयी सुविधाओं की पैरिटी भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश से न होने के कारण इसे सीमित करने पर पहले कार्यवाही की जाय। उसी दशा में माना जायेगा कि हम सही मायनों में उत्तराखण्ड राज्य की खराब वित्तीय स्थिति को सुधारने के प्रहरी हैं। अन्यथा की स्थिति में संगठन/सेवा विशेष पर वेतनमान डाउनग्रेड किया जाना किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जायेगा। इसका कड़ा वक्तव्य बैठक में संघ की ओर से दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बैठक में सचिवालय संघ द्वारा सचिवालय सेवा संवर्ग के वेतनमान, जो पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश की तर्ज एवं समानता पर अनुमन्य होते रहे है, तथा जिनकी समकक्षता केन्द्र सरकार से कभी नहीं रही है, को एकाएक व संघ का पक्ष जाने बगैर एकतरफा लिये गये डाउनग्रेड के निर्णय का पुरजोर विरोध किया गया। साथ ही मंत्रिमंडल के कर्मचारी विरोधी इस निर्णय को फिलहाल स्थगित रखने की मांग की गई। मांग की गई कि इस पर पुनर्विचार कर समिति गठित करते हुये कार्मिक सेवा संघों का पक्ष सुनते हुये तदनुसार 03 माह की समयावधि में इसका निस्तारण किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लगभग दो घंटे से अधिक चली बैठक में दोनो पक्षों की ओर से किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका। इस पर यह तय हुआ है कि आला अधिकारियों द्वारा सचिवालय संघ की ओर से प्रस्तुत सभी तथ्यों पर चिन्तन मनन कर लिया जाय। सचिवालय संघ भी एक-दो दिन के भीतर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलेगा। उनके समक्ष अपनी बात को रखते हुए इस मामले को फिलहाल स्थगित रखने की मांग की जाएगी। ताकि समिति आदि के माध्यम से पुनः परिक्षण के बाद ही इस संवेदनशील एवं कार्मिकों के हित से जुड़े हुये मुद्दे का सार्थक निस्तारण किया जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सचिवालय संघ ने अपने संवर्गीय संघों के पदाधिकारियों से परामर्श कर विषयगत प्रकरण पर मुख्यमंत्री से पुनः वार्ता के लिए समय लिये जाने के निर्णय किया गया। साथ ही मुख्यमंत्री से वार्ता होने तक प्रस्तावित आंदोलन को फिलहाल प्रतीक्षारत रखने का निर्णय किया गया। तय किया गया कि यदि इसके बाद भी आला अधिकारियों ने सचिवालय सेवा संवर्ग के वेतनमानो को डाउनग्रेड किये जाने के औचित्यहिन निर्णय को लागू करने का आदेश निर्गत किया तो संघ बिना किसी पूर्व सूचना के अनिश्चितकालीन हड़ताल करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बैठक में सचिवालय संघ के प्रतिनिधि के रूप में अध्यक्ष दीपक जोशी, महासचिव विमल जोशी, उपाध्यक्ष सुनील लखेड़ा, करम राम, बची सिंह, चन्दन सिंह बिष्ट, संदीप बिष्ट, प्रदीप पपनै, जीतमणि पैन्यूली, प्रमोद कुमार, कैलाश चन्द्र तिवारी, विपिन चन्द्र जोशी, किशन असवाल, सुनील गुंसॉंई, अनिल प्रकाश उनियाल, अरविन्द कुमार, सन्दीप बिष्ट, चन्दन बिष्ट आदि उपस्थित रहे।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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