उत्तराखंड में विपक्षी दलों और जन संगठनों ने उठाई आवाज, नफरत नहीं, रोजगार दो

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के दीन दयाल पार्क सहित राज्य के अन्य जगहों में आज जन संगठनों एवं विपक्षी दलों ने काकोरी कांड के शहीदों को याद किया। साथ ही- नफरत नहीं, रोज़गार दो, के नारे के साथ वर्तमान सरकार पर आरोप लगाया कि दिहाड़ी मज़दूरों के लिए बनाये हुए योजनाओं पर अमल ही नहीं हो रहा है। छह साल से मज़दूर बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। लगातार नफरती अभियानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। वन अधिकार एवं भू कानून पर कदम नहीं उठाया गया है। उल्टा बड़े पूंजीपतियों के हित में नयी सर्विस सेक्टर नीति लायी गयी है। इसके अंतर्गत राज्य की ज़मीन 99 साल तक लीज़ पर निजी कंपनियों को दी जाएगी और उनको सब्सिडी के रूप में करोड़ों या अरबों का पैसे भी दिया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि 1925 में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्लाह खान और अन्य क्रांतिकारियों ने आज़ाद भारत के लिए अपनी जान इसलिए दी, ताकि इस देश में लोकतंत्र, न्याय, भाईचारा और बराबरी स्थापित हो। वहीं, अब केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों की वजह से ये सब अभी खतरे में हैं। जनसभा में आये लोगों ने मांग उठाई कि मज़दूरों को भुगतान न देने पर कार्रवाई की जाये। हर मज़दूर का पंजीकरण हो और उनको योजना के अंतर्गत सारे निर्धारित लाभ, जैसे छात्रवृत्ति, सहायता, पेंशन,औजार इत्यादि दिया जाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मांग की गई कि सरकार कानून लाये कि किसी को बेघर नहीं किया जायेगा, 2016 के कानून के अनुसार मज़दूर बस्तियों का नियमितीकरण या पुनर्वास हो, आपराधिक नफरती अभियानों पर रोक लगाया जाये, निजी कंपनियों को सब्सिडी देने की जगह में महिला मज़दूरों एवं किसानों को सहायता दिया जाये, राशन हर परिवार को दिया जाये और इसकी मात्रा को बढ़ाया जाये। वन अधिकार एवं भू अधिकार को सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने संकल्प भी लिया कि वे अपने हक़ों के हित में ही वोट करेंगे और आवाज़ उठाई कि चुनाव निष्पक्ष एवं पारदर्शी हों। इस मौके पर इन मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम पर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। ऐसा कार्यक्रम चमियाला, टिहरी गढ़वाल में भी आयोजित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शनकारियों में उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ सत्यनारायण सचान, सामाजिक कार्यकर्ता एवं कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुजाता मालिया, पीपल्स साइंस मूवमेंट के विजय भट्ट, चेतना आंदोलन के सुनीता देवी, अशोक कुमार, पप्पू कुमार, जन संवाद समिति के सतीश धौलखंडी, सर्वोदय मंडल के हरबीर सिंह कुशवाहा, सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप सकलानी ने विचार रखे। इस मौके पर रमन पंडित, राजेंद्र शाह, मुकेश उनियाल, जणात्तुर देवी, सविता देवी, सुवा लाल आदि उपस्थित रहे।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।