वाद्य यंत्र के नए फनकारों के लिए देहरादून में होगा खुला प्रस्तुतिकरण, 24 अक्टूबर को सीएम करेंगे शुभारंभ
उत्तराखंड में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के फनकारों की छिपी प्रतिभा को पहचान दिलाने का बीड़ा देहरादून के जाने माने वरिष्ठ फिजिशियन डॉ केपी जोशी ने उठाया है। उनकी इस मुहिम को सरकार का सहयोग भी मिल गया है।

रविवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में चारधाम अस्पताल सेवा के संचालक डॉ केपी जोशी ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में ऐसी प्रतिभाओं को चिह्नित कर उन्हें आगे लाने का एक प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से दूर-दराज के क्षेत्रों से ऐसी प्रतिभाओं को ढूंढकर लाया गया है, जिन्हें अपनी प्रतिभा का राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन का अभी तक अवसर नहीं मिला है। मसलन कोई विशिष्ट पहचान नहीं मिली है।
उन्होंने बताया कि ये प्रतिभागी किसी विशिष्ट कला जैसे परंपरागत वाद यंत्रों, संगीत, सांस्कृतिक परम्परा, शिल्प एवं कारीगरी से जूड़े होंगे। साथ ही रिंगाल, लकड़ी, ऊन, नेचुरल फाईवर, ताम्र आदि का काम करते हों। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर एक समिति बनी है। इसने प्रतिभाओं को विभिन्न श्रोतों से चिह्नित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आगामी 23 अक्टूबर को पारंपरिक वाद यंत्र से जुड़े लोगों के बीच रेंजर्स मैदान में प्रस्तुति होगी।
इसमें बेहतर प्रदर्शन करने वालों का चयन होगा। निर्णायक के तौर पर लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी और प्रीतम भरतवाण के अलावा दो सांस्कृतिक पत्रकार भी होंगे। इस प्रस्तुतीकरण के बाद बेहतर प्रदर्शन करने वाले चिह्नित किये जाएंगे। इसके बाद आगामी 24 अक्टूबर को नगर निगम के टाउन हॉल में मुख्यमंत्री के समक्ष बेहतर प्रदर्शन करने वालों का प्रस्तुतीकरण किया जाएगा। डॉक्टर केपी जोशी ने बताया कि वाद यंत्र से जुड़े लोग जो भी पहाड़ से आएंगे। उन सभी भी का सारा खर्चा हमारी तरफ से होगा। उनके रहने खाने का सब इतजाम होगा। सभी को मानदेय दिया जाएगा। इसके अलावा बेहतर प्रदर्शन करने वालों को रोजगार जाएगा। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य यह है कि उत्तराखंड की जो संस्कृति लुप्त हो रही है। उसे आगे बढ़ाने के लिए यह कार्यक्रम किया जा रहा है। इस अवसर पर उधोग विभाग के निदेशक सुधीर नौटियाल भी मौजूद रहे।