किसान आंदोलन का एक सालः उत्तराखंड में सीटू और किसान सभा का सचिवालय कूच, पुलिस ने रोका, संविधान की ली शपथ
ज्ञापन में किसान विरोधी कानून वापस लेने, फसलों के लिए एमएसपी का गारन्टी कानून बनाने, किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने, गृह राज्य मन्त्री टैनी के इस्तीफे तथा गिरफ्तारी, चार श्रम संहिताओं को वापस लेने, श्रम कानूनों को लागू करने, नीजिकरण की प्रक्रिया रोकने, बन्द पड़े उधोगों को खोलने, स्कीम वर्करों, संविदा श्रमिकों को न्यूनतम वेतन, भोजनमाताओं को सम्माजनक वेतन, छात्र संघ चुनाव कराने तथा छूटे हुऐ आन्दोलकारियों को अविलंब आंदोलनकारी घोषित करने आदि मांगें प्रमुख थी।
राजपुर रोड स्थित सीपीएम के कार्यालय के निकाला गया जुलूस राजपुर रोड़, घंटाघर से होता हुआ एस्लेहाल से सचिवालय पहुंचा। सचिवालय से कुछ दूर पहले पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ धक्का मुक्की भी हुई। फिर वहीं सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर वक्ताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वक्ताओं ने मोदी सरकार की श्रमिक तथा किसान विरोधी नीतियों की जमकर आलोचना करते हुए किसान, मजदूर विरोधी कानून वापस लेने की मांग की।
इस अवसर पर सीआइटीयू के अध्यक्ष राजेन्द्रसिंह नेगी, महामंत्री महेन्द्र जखमोला, मन्त्री लेखराज, किसान सभा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवाण, महामंत्री गंगाधर नौटियाल, कोषाध्यक्ष शिव प्रसाद देवली, मन्त्री कमरूद्दीन, सीटू देहरादून के अध्यक्ष किशन गुनियाल, मदन मिश्रा, जानकी चौहान, ईमरत, भगवन्त पयाल, लालदीन, सतकुमार, मोनिका, चित्रा, शिवा दुबे, सुनीता चौहान, देवानन्द नौटियाल, टीका प्रसाद पोखरियाल, सुन्दर थापा, सुधादेवली, विशाल सिंह राणा, पुरूषोत्तम बडोनी, अनन्त आकाश, शैलेन्द्र परमार, सोनाली नेगी, मनोज नेगी, महिला समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष इन्दुनौडियाल, जिलाध्यक्ष अध्यक्ष नुरैशा अंसारी, मनमोहन सिंह ,याकूब अली, डाक्टर जागीर सिंह, अमन कण्डारी आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।