सीटू की स्थापना दिवस पर श्रमिकों के हित को लेकर निरंतर संघर्ष का संकल्प
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) के 53 वें स्थापना दिवस पर श्रमिकों को हितों को लेकर निरंतर संघर्ष करने का संकल्प किया गया। देहरादून में मुख्य कार्यक्रम सीटू कार्यालय में आयोजित किया गया। इसमें केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीति की जमकर आलोचना की गई। साथ ही श्रम कानूनों की बजाय श्रम संहिता लागू करने के खिलाफ लगातार संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर सीटू का झंडारोहण किया गया। विचार गोष्ठी में सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने सीटू की स्थापना और मौजूदा परिस्थितियों में सीटू की प्रासंगिकता विषय पर कहा कि देश में तत्कालीन मजदूर आंदोलन में आए ठहराव के कारण सीटू की स्थापना की आवश्यकता हुई थी। काफी जद्दोजहद के बाद 1970 में कोलकाता के मीनार मैदान में चार दिवसीय सम्मेलन में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन की स्थापना हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश में मजदूरों की एकता को कायम करना और शोषण के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आंदोलन करना था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि पिछले 53 साल में सीटू ने अपने लक्ष्य और उद्देश्यों पर काम करते हुए मजदूर वर्ग के शोषण के खिलाफ कई बड़े संघर्ष किए और उपलब्धियां भी हासिल की हैं। आज ईमानदार और संघर्षशील यूनियन के नाम पर सीटू देश में स्थापित है। मजदूर आंदोलन में सीटू की अहम भूमिका है। सीटू ने पूरे देश के सर्वहारा वर्ग के लिए कई संगठन बनाए और उन संगठनों के माध्यम से संघर्ष करते हुए शोषण से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया। आगे भी शोषण के समाप्त होने तक यह संघर्ष जारी रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर सीटू के उपाध्यक्ष भगवंत पयाल, सचिव रामसिंह भंडारी, कोषाध्यक्ष रविन्द्र नौडियाल ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में तजबर रावत, अनंत आकाश, दयाकिशन पाठक, बुद्धि सिंह चौहान, सुरेंद्र सिंह बिष्ट, पदम सिंह, रमेश चंद, राजतिलक कनोजिया, लक्ष्मी चंद, मोहन सिंह, सुरेंद्र सिंह राणा, विनोद कुमार, मंगरु आदि उपस्थित थे। इससे पूर्व देहरादून के सेलाकुई, डोईवाला, ऋषिकेश आदि स्थानों पर भी कार्यक्रम आयोजित किये गए। सीटू से सम्बद्ध यूनियनों ने आपने -अपने कार्यालयों पर झंडा रोहण किया व कार्यस्थलों पर गोष्ठियां की।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।