एक तरफ श्रमिक जिंदगी बचाने को कर रहे संघर्ष, दूसरी तरफ मंत्री चुनावों में व्यस्तः करन माहरा
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तरकाशी टनल में विगत आठ दिनों से फंसे हुए मजदूरों के मामले के लोकर प्रदेश और केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि एक तरफ मजदूर विगत आठ दिनों से जिन्दगी को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं, राज्य व केन्द्र सरकार के मंत्री अन्य प्रदेशों में हो रहे चुनावों में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि आज तक सरकार के पास मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कोई ठोस प्लान सामने नही आया है। केवल हवा में हाथ पैर मारे जा रहे हैं। रेस्क्यू के नाम पर एबीसीडी प्लान की बात तो हो रही है, मगर अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
माहरा ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि टनल के निर्माण के दौरान निर्माण कंपनी लगातार मनमानी करती रही। टनल की गुणवत्ता से लगातार खिलवाड़ होता रहा। जो सुरक्षा उपकरण वहां होने चाहिए थे, वहां पर मौजूद नही थे। फिर भी कार्यदायी संस्था एवं सरकार की ओर से निर्माण कार्य की निगरानी सही तरीके से क्यों नही की गई। अगर पहले सावधानी बरती गई होती तो इतनी बड़ी घटना ही नही होती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि एनएच आईडीसीएल ने टनल के निर्माण का ठेका तो हासिल कर लिया, लेकिन निर्माण कार्य दूसरे कम्पनी के भरोसे क्यों छोड़ा? इस टनल का निर्माण करने वाली कम्पनी नवयुग इंजीनियरिंग प्राईवेट लि. पहले से ही विवादित कम्पनी है। महाराष्ट्र के ठाणें में 31 अगस्त को इसी वर्ष इस कम्पनी की लापरवाही से 10 मजदूरों एवं 10 अन्य सहित कुल 20 लोगों की मौत हो गई थी। इसकी एफआईआर तो दर्ज की गई, पर उस आजतक क्या कार्यवाही हुई किसी को कुछ नही पता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि कंपनी की पहुंच कितनी ऊपर तक है। यही नही, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाईन में भी इस कम्पनी को 2020 में 22 सौ करोड़ से अधिक के काम दिये गये हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कंपनी सरकार की कितनी लाडली कम्पनी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि देश के जाने माने जियोलॉजिकल वैज्ञानिक जियालॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के पूर्व निदेशक पीसी नवानी भी कह चुके है कि यह टनल हादसा सिस्टम की लापरवाही के कारण हुआ है। अगर टनल निर्माण में सुरक्षा के बिंदुओें और निर्माण की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा होता तो यह घटना नही होती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि पीसी नवानी के निर्देशन में ही उत्तराखंड की बड़ी बड़ी टनलें बनी है। चाहे वह टिहरी डेम की टनलें हो या मनेरीभाली परियोजना की टनलें हों। सभी सफलतापूर्वक बनाई गई थी। ऐसे में पीसी नवानी के दृष्टिकोण के महत्व को समझा जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि अभी हाल के वर्षों में चाहे रैंणी की आपदा हो, या चमोली के जोशीमठ की आपदा हो। या नमामी गंगे के एसटीपी प्लॉन्ट की घटना हो, ये सभी घटनायें सिस्टम की लापरवाही के कारण घटी हैं। किसी भी घटना में आजतक सरकार और शासन में बैठे असल दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसी कारण बार-बार इस तरह की घटनायें घटित हो रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि टनल में फंसे लोगों को बहार निकालने के लिए ठोस रणनीति बनानी चाहिए। पूरे देश की निगाहें सिलक्यारा टनल में फसे लोगों की ओर है। सरकार को तत्काल प्रभाव से अन्दर फंसे हुए लोगों को प्राथमिकता के आधार पर रेस्क्यू करने की कार्रवाही तय करनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है घटनाक्रम
गौरतलब है कि जनपद उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिलक्यारा के समीप लगभग 4531 मीटर लम्बी सुरंग का निर्माण हो रहा है। इसमें सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मीटर तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर निर्माण हो चुका है। इसमें 12 नवम्बर 2023 की सुबह सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा सुरंग में गिर गया था। इसमें 41 व्यक्ति फँस गए। उसी दिन से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान चल रहा है। अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।