एक तरफ सरकार की जश्न की तैयारी, वहीं राज्य आंदोलनकारियों की प्रदर्शन की तैयारी

नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य की स्थापना का दिवस है। पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर कई वर्षों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 की रात 12 बजे उत्तराखंड (तब उत्तरांचल) को सत्ताइसवें राज्य के रूप में भारत गणराज्य में शामिल किया। अब राज्य बने हुए 23 साल हो रहे हैं, लेकिन जिस राज्य को प्राप्त करने लिए बड़ी राज्य आंदोलनकारी शहीद हुए। राज्य आंदोलनकारी जेल गए। उन्होंने लाठी डंडे खाए। कई घायल हुए। कई ने गोलियों का दर्द भी सहन किया, लेकिन सवाल ये है कि क्या वे राज्य बनने से खुश हैं। क्योंकि इन 23 वर्षों में चाहे बीजेपी की सरकार रही हो या फिर कांग्रेस की, राज्य आंदोलनकारियों को किसी भी सरकार से उन्हें ऐसा न्याय नहीं मिला, जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे। राज्य बनने के बाद भी उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। आश्वासन की हर बार गोलियां तो मिल रही हैं, लेकिन उनकी मांग बार बार लटक रही है। ऐसे में 23 साल निकल गए और वे खुद को ठगे से महसूस कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य स्थापना दिवस की सरकार की तैयारी
हर साल राज्य स्थापना दिवस समारोह से कुछ दिन पहले से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। इस बार भी हो सकता है सरकार की ओर से तैयारी की जा रही हो, लेकिन इसका कार्यक्रम शायद ही मीडिया में प्रकाशित हुआ हो। हालांकि, सरकार ने मीडिया में राज्य स्थापना दिवस को लेकर बधाई संदेश जरूर जारी किया है। वैसे हर साल की तरह इस बार भी कार्यक्रम होने तय हैं। मजमा लगेगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। भाषण होंगे, हो सकता है कुछ घोषणाएं भी हों। फिर सब कुछ अगले साल के लिए छोड़ दो। ऐसा करते करते अब 23 साल हो रहे हैं। इसीलिए एक तरफ सरकार आयोजन की तैयारी कर रही है, वहीं आंदोलनकारी आंदोलन की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आठ नवंबर को राज्य आंदोलनकारी करेंगे सचिवालय कूच
उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारी मुख्य मांगों को लेकर आठ नवंबर को सचिवालय कूच करेंगे। इससे संबंधित पोस्टर उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त मंच की ओर से जारी किए गए हैं। सचिवालय कूच सुबह करीब 10 बजे से राजधानी देहरादून के परेड मैदान से शुरू होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं प्रमुख मांग
राज्य आंदोलनकारियों की मुख्य मांगों में आंदोलनकारियों की चिह्नीकरण की प्रक्रिया पूर्ण की जाए, एक समान पेंशन पट्टा हो और पेंशन में वृद्धि की जाए। मूल निवास की व्यवस्था 1950 से लागू की जाए। हिमाचल की तर्ज पर धारा 371 लागू की जाए। हालांकि, इसके अलावा रोजगार, आंदोलनकारियों को दस फीसद क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था को जल्द लागू करने, कड़ा भू कानून आदि की मांग भी हैं, जिसे लेकर समय समय पर आंदोलन होते रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन संगठनों ने किया आह्वान
सचिवालय कूच का आह्वान उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद, उत्तराखंड महिला मंच, वरिष्ठ राज्य आदोलनकारी संयुक्त मोर्चा, जनवादी महिला समिति, नेताजी संघर्ष समिति, राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी, उत्तराखंड कर्मचारी आंदोलनकारी संगठन, उत्तराखंड किसान मोर्चा, उत्तराखंड बेरोजगार संघ, मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी, सीटू, एसएफआई, प्यूपिल्स फोरम, उत्तराखंड चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संगठन, दिशा सामाजिक संस्था, पहाड़ी स्वाभिमानी सेना के साथ ही विभिन्न जन संगठन, राजनीतिक दल, सामाजिक संस्थाओं की ओर से किया गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।