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September 19, 2025

अब उज्बेकिस्तान ने भारत में बनी कप सिरप पर उठाए सवाल, 18 बच्चों की मौत का दावा, गाम्बिया में हुई थी 60 से अधिक मौत

उज्बेकिस्तान ने दावा किया है कि भारत में बनी कफ सिरप के कथित रूप से सेवन की वजह से 18 बच्चों की मौत हो गई। उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मरने वाले 18 बच्चों ने कफ सिरप Doc-1 Max का सेवन किया था। यह दवा नोएडा स्थित Marion Biotech द्वारा बनाई जाती है।
साथ ही मंत्रालय ने कहा कि सिरप के एक बैच के लैब टेस्ट में ethylene glycol मिला है, जो कि एक जहरीला पदार्थ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बयान में यह भी कहा गया है कि बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के घर पर ही यह सिरप दी गई थी। यह सिरप बच्चों के माता-पिता ने या फार्मासिस्ट की सलाह पर दी गई। इसके साथ ही बच्चों के लिए इसकी मानक खुराक से ज्यादा खुराक दी गई है।कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक यह सिरप सर्दी और फ्लू के लक्षणों के इलाज के लिए दी जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बयान में कहा गया है कि 18 बच्चों की मौत के बाद देश की सभी फार्मेसियों से Doc-1 Max टैबलेट और सिरप हटा लिए गए हैं। इसके साथ ही सात कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है, क्योंकि वे समय पर स्थिति को नहीं संभाल पाए और जरूरी कदम उठाने में नाकाम रहे। भारत ने उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत को नोएडा स्थित दवा निर्माता की सिरप से जोड़ने के दावे के बाद जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि सेंट्रल ड्रग्स रेगुलेटरी टीम ने उत्तर प्रदेश ड्रग्स लाइसेंसिंग अथॉरिटी से संपर्क किया है। ताकि दवा कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की जा सके। यह भी पता चला है कि केंद्र और राज्य की ड्रग्स रेगुलेटरी टीमें ज्वाइंट इंक्वायरी करेंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गाम्बिया में हुई थी 60 से अधिक बच्चों की मौत
इससे पहले, अक्तूबर में अफ्रीकी देश गाम्बिया में भारत में निर्मित कफ सिरप से 60 से अधिक बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था, लेकिन अभी तक भारतीय कंपनी के कफ सिरप से बच्चों की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गाम्बिया में कथित तौर पर भारत में निर्मित कफ सिरप से बच्चों की मौत पर सरकार ने संसद में जानकारी दी थी कि मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की खांसी की दवाई के नमूने मानक गुणवत्ता वाले पाए गए हैं। रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने 13 दिसंबर को राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य औषधि नियंत्रक के सहयोग से सोनीपत में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की एक संयुक्त जांच की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डब्ल्यूएचओ ने जारी की थी रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अक्तूबर की शुरुआत में इसे लेकर रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि खांसी की दवा डाइथेलेन ग्लाइकोल और इथिलेन ग्लाइकोल इंसान के लिए जहर की तरह हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस ने कहा था कि बच्चों की मौत का संबंध चार दवाओं से है। इन सिरप के सेवन से उनके गुर्दों को क्षति पहुंची। ये चारों दवाएं हरियाणा की एक ही कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मेडेन फार्मास्यूटिकल के उत्पादों पर बैन
WHO की रिपोर्ट आने के बाद गाम्बिया ने मेडेन फार्मास्यूटिकल के उत्पादों पर बैन लगा दिया गया था। WHO ने सभी देशों को इन दवाओं को बाजार से हटाने की चेतावनी दी थी। खुद भी इन देशों और संबंधित क्षेत्र की आपूर्ति शृंखला पर नजर रखने की बात कही थी। WHO की चेतावनी के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने जांच के आदेश जारी कर दिए।

Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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