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November 14, 2024

अब अमेरिका में पीएम मोदी का डंका बजाने की तैयारी, विदेश दौरे में साथ चल रही है ये मुसीबत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब अमेरिका की यात्रा में जाने वाले हैं। वह जब भी विदेश यात्रा में जाते हैं तो प्रचारित किया जाता है कि भारत का डंका विदेशों में बज गया। वहीं, कुछ समय से उनके विदेश दौरे के साथ ही एक मुसीबत और चल रही है। ये ऐसी मुसीबत है, जिससे पीएम मोदी का पीछा नहीं छूट पा रहा है। ये मुसीबत पीएम मोदी के लिए हो सकती है, वहीं, दूसरा पक्ष इसे अधिकार बताता है। पहले मई माह में पीएम मोदी आस्ट्रेलिया गए थे। वह 22 मई की शाम को ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने 23 और 24 मई को विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित भी किया। बुधवार 24 मई को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ऑस्ट्रेलिया की संसद में दिखाई गई थी। यह वही डॉक्यूमेंट्री है, जिसका प्रदर्शन भारत में रोकने की कोशिश की गई थी। एक तरफ प्रचारित किया गया कि पीएम का आस्ट्रेलिया में डंका बज गया, वहीं दूसरी तरफ बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ने पीएम मोदी और बीजेपी को असहज कर दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब फिर सुर्खियों में आई बीबीसी डॉक्यूमेंट्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 21 जून को होने वाले अमेरिकी दौरे से पहले एक बार फिर बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ सुर्खियों में आ गई है। अमेरिका में दो मानवाधिकार संगठनों ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने का ऐलान किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये स्क्रीनिंग अमेरिका के वॉशिंगटन में की जाएगी। ये स्क्रीनिंग भी पीएम के दौरे से ठीक एक दिन पहले की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

भारत में बैन करने के खिलाफ होगी स्क्रीनिंग
अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 20 जून को एक प्राइवेट स्क्रीनिंग के आयोजन का ऐलान किया है। इस स्क्रीनिंग में अमेरिकी सांसद, पत्रकार और विश्लेषणकर्ता आमंत्रित किए गए हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच ने सोमवार 12 जून को स्क्रीनिंग का ऐलान करते हुए कहा कि वो चाहती कि लोगों को ये पता चले कि डॉक्यूमेंट्री को भारत में बैन कर दिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एजेंडा आधारित प्रोपेगेंडा है डॉक्यूमेंट्रीः मोदी सरकार
मोदी सरकार की ओर से बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को एजेंडा आधारित प्रोपेगेंडा बताया गया था और देश में बैन कर दिया गया था। मोदी सरकार की ओर से कहा गया था कि जब देश के सर्वोच्च न्यायिक संस्थान सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी के खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया है तो ये सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा ही कहा जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

केंद्र सरकार की ओर से यूट्यूब और ट्विटर को डॉक्यूमेंट्री के वीडियो से जुड़े लिंक हटाने के निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही कई यूनिवर्सिटियों के प्रशासन को इसकी स्क्रीनिंग की इजाजत न देने के आदेश दिए गए थे। हालांकि, बैन के बावजूद छात्र संगठनों और सियासी दलों ने इस प्रदर्शन किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीएम मोदी का कार्यक्रम
पीएम मोदी 21 जून से लेकर 24 जून तक अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं। इस दौरे पर पीएम मोदी यूएस की संसद के ज्वाइंट सेशन को संबोधित करेंगे। वो ऐसा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे जो लगातार दूसरी बार यूएस की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गुजरात दंगों पर आधारित है ये डॉक्यूमेंट्री
द मोदी क्वेश्चन नाम से BBC की दो एपिसोड वाली इस डॉक्यूमेंट्री का दावा किया गया है कि इसमें एक नई नज़र से दंगों को देखा गया है। डॉक्यूमेंट्री में आरोप है कि 2002 में गुजरात में जो कुछ हुआ, उसमें नरसंहार के सारे लक्षण थे और डॉक्यूमेंट्री में इसका आरोप गुजरात के उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाया गया। हवाला दिया गया है ब्रिटिश सरकार की एक खुफिया रिपोर्ट का। इधर, गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बनाई स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने कहा था कि दंगों के पीछे साजिश के साक्ष्य नहीं मिले हैं, जिसके बाद कोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वृत्तचित्र भारत में बीबीसी द्वारा प्रसारित नहीं किया गया था, भारत सरकार ने विभिन्न सोशल मीडिया चैनलों को लिंक पोस्ट करने वाले कई खातों को हटाने का निर्देश दिया था। लगभग एक महीने बाद, नई दिल्ली और मुंबई में बीबीसी के कार्यालयों पर आईटी अधिकारियों द्वारा छापा मारा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में आय के रूप में कुछ प्रेषणों के गैर-प्रकटीकरण के साथ-साथ उन प्रेषणों पर करों का भुगतान न करने सहित अनियमितताओं का पता चला था। बीबीसी ने उन आरोपों का खंडन किया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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