जम्मू कश्मीर में अब बाहरी लोग भी कर सकेंगे मतदान, उमर-महबूबा को नए नियम से आपत्ति

बता दें कि प्रदेश से आर्टिकल-370 हटने के बाद से पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव में बाहरी व्यक्तियों के वोट डालने की रिपोर्ट पर राज्य के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने बुधवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में करीब 25 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज होने की उम्मीद है। कुमार ने यह भी कहा कि मतदाता सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू-कश्मीर का अधिवास प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि यहां सामान्य रूप से रह रहे लोग भी मतदाता सूची में अपना नाम डलवा सकते हैं। निर्वाचन अधिकारी के इस बयान पर बवाल मच गया है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अबदुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि बीजेपी राज्य की स्थानीय आबादी को शक्तिहीन बनाना चाहती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चल रहा है मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने 25 नवंबर तक मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन को पूरा करने के लिए चल रही कवायद को एक ‘चुनौतीपूर्ण कार्य’ बताया। हृदेश कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया को समय पर पूरा करने का यह व्यापक अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए चलाया जा रहा है कि एक अक्टूबर, 2022 या उससे पहले 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले सभी पात्र मतदाताओं का पंजीकरण कर उन्हें ‘त्रुटि-मुक्त’ अंतिम मतदाता सूची में शामिल किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बड़े पैमाने पर बदलाव की संभावना
निर्वाचन आयोग द्वारा हाल ही में जारी पुनर्निर्धारित समय-सीमा के अनुसार एक एकीकृत मतदाता सूची का मसौदा 15 सितंबर को प्रकाशित किया जाएगा, जबकि सूची को लेकर दावा और आपत्ति दर्ज कराने की अवधि 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच निर्धारित की गई है। इसके बाद 10 नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा। हृदेश कुमार कहा कि 25 नवंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले 19 नवंबर को मानदंडों की जांच और अंतिम प्रकाशन और डेटाबेस को अद्यतन करने तथा पूरक की छपाई के लिए आयोग की अनुमति प्राप्त करना तय किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि एक जनवरी, 2019 के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन हो रहा है और इसलिए हम मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं, इस तथ्य को देखते हुए कि पिछले तीन वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में युवाओं ने 18 या 18 वर्ष से अधिक की आयु प्राप्त कर ली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्थानीय जनता को शक्तिहीन करने का आरोप
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि क्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जम्मू कश्मीर के वास्तविक मतदाताओं के समर्थन को लेकर इतनी असुरक्षित है कि उसे सीटें जीतने के लिए अस्थायी मतदाताओं को आयात करने की जरूरत है? जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का मौका दिया जाएगा तो इनमें से कोई भी चीज भाजपा की सहायता नहीं करेगी। वह मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिनमें दावा किया गया है कि जो लोग काम, व्यवसाय या शिक्षा के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं। वे अगले विधानसभा चुनाव में मतदान कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महबूबा मुफ्ती को आपत्ति
इधर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने संबंधी भारत सरकार का निर्णय, पहले भाजपा के पक्ष में पलड़ा झुकाने और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देने से चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए है। असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करने के लिए जम्मू-कश्मीर पर शासन जारी रखना है। वहीं पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने इस कदम को खतरनाक करार देते हुए कहा कि यह विनाशकारी होगा।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।