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September 29, 2024

अब नया दावाः अजमेर शरीफ दरगाह पहले था मंदिर, हिंदू धर्म से संबंधी प्रतीक चिह्न, पुष्टि को सर्वे की मांग

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हिंदूवादी संगठन महाराणा प्रताप सेना ने अजमेर स्थित हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, पूर्व में मंदिर होने का दावा करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे करवाने की मांग की है।

इन दिनों देश में महंगाई, रोजगार, गरीबी, शिक्षा स्वास्थ्य जैसे मुद्दों का कोई स्थान नहीं बचा है। हर दिन मंदिर और मस्जिद को लेकर नए नए दावे किए जा रहे हैं। चाहे ज्ञानवापी का मामला हो, या फिर ताजमहल का। या फिर कुतुबमीनार का। मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह मस्जिद विवाद हो, या फिर अन्य किसी मस्जिद का। इन दावों को लेकर ही लोगों को आपस में उलझने की फुर्सत नहीं है। ऐसे में ज्वलंत मुद्दों की तरफ देखने की किसी को फुर्सत नहीं है। अब एक नया दावा सामने आ रहा है।
हिंदूवादी संगठन महाराणा प्रताप सेना ने अजमेर स्थित हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, पूर्व में मंदिर होने का दावा करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे करवाने की मांग की है। महाराणा प्रताप सेना के राजवर्धन सिंह परमार ने दावा किया कि दरगाह की दीवारों व खिडकियों में हिन्दू धर्म से संबंधित चिह्न है। परमार ने कहा कि उनकी मांग है कि एएसआई द्वारा दरगाह का सर्वे करवाया जाए। वहीं, दरगाह की खादिमों की कमेटी ने दावे को खारिज करते हुए कहा कि वहां इस तरह का कोई चिह्न नहीं है।
परमार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पूर्व में एक प्राचीन मंदिर था। उसकी दीवारों और खिड़कियों पर स्वास्तिक के चिह्न है। हमारी मांग है कि दरगाह की एएसआई से सर्वे करवाया जाये। खादिम कमेटी अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोईन चिश्ती ने कहा कि दावा निराधार है, क्योंकि दरगाह में इस तरह के चिह्न नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों समाज हिन्दू और मुस्लिम के करोड़ो लोग दरगाह में आते हैं। उन्होंने कहा कि मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि दरगाह में कहीं भी स्वास्तिक चिह्न नहीं है। दरगाह 850 वर्षो से है. इस तरह का कोई प्रश्न आज तक उठा ही नहीं हैं। आज देश में एक विशेष तरह का माहौल है जो पहले कभी नहीं था।
उन्होंने कहा कि ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सवाल उठाने का मतलब उन करोड़ो लोगो की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है, जो अपने-अपने धर्म को मानने वाले हैं और यहां आते हैं। चिश्ती ने कहा कि ऐसे सभी तत्वों को जवाब देना सरकार का काम है। कमेटी के सचिव वाहिद हुसैन चिश्ती ने कहा कि यह सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाडने की कोशिश है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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