अब चांद पर मून कार दौड़ाएंगे नासा के वैज्ञानिक, 45,000 से ज्यादा गैलेक्सी एक ही फ्रेम में कैप्चर, पढ़िए रहस्य
दुनिया भर के वैज्ञानिक जहां चंद्रमा और मंगल में इंसान को पहुंचाने के प्रयास में जुटे हैं। वहीं, ब्रह्मांड के रहस्यों से भी पर्दा उठाने की कोशिश की जा रही है। इसी बीच खबर ये है कि आकाशगंगाओं की खोज में जुटे वैज्ञानिकों को नई जानकारी मिली है। नासा के टेलीस्कोप ने एक ही फ्रेम में 45,000 से ज्यादा गैलेक्सी की तस्वीरों को कैप्चर किया है। वहीं, चांद पर मून कार को दौड़ाने की योजना पर भी काम किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) अपने मून मिशन में निजी कंपनियों को भी शामिल कर रही है। नासा की योजना एक मून कार के निर्माण की है। यह आधा वीकल और आधा रोबोट होगी। इसे लूनार टेरेन वीकल (LTV) भी कहा जाता है। नासा की योजना है कि जरूरत पड़ने पर कार 2 एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर ट्रैवल कराए साथ ही सेमी ऑटोमैटिक रूप से खुद भी काम करे, ताकि चंद्रमा से जुड़ीं रिसर्च पूरी की जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्ष 2024 में लॉंच होगा ये मिशन
नासा ने पिछले साल आर्टिमिस 1 मिशन को पूरा किया था। साल 2024 में आर्टिमिस 2 मिशन को लॉन्च किया जाना है। इसी तरह आर्टिमिस 3, 4 और 5वें मिशन पर काम चल रहा है। आर्टिमिस 2 मिशन के जरिये करीब 50 साल बाद चार अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजा जाएगा। ये अंतरिक्ष यात्री सिर्फ चांद का चक्कर लगाकर लौट आएंगे। भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारा भी जाएगा। तब उन्हें वो तमाम साजो-सामान चाहिए होंगे, जो वहां जरूरी हैं। इनमें मून कार भी इसी का हिस्सा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कंपनियों को 10 जुलाई की डेडलाइन
नासा ने प्राइवेट कंपनियों से कहा है कि वो भविष्य के आर्टिमिस मिशन के लिए LTV सर्विस कॉन्ट्रैक्ट के लिए अपना सबमिशन भेज सकती हैं। कंपनियों को 10 जुलाई की डेडलाइन दी गई है। कॉन्ट्रैक्ट से वो कंपनी जुड़ पाएगी जो एंड-टु-एंड सर्विस उपलब्ध कराएगी। इसमें कार के डेवलपमेंट से लेकर डिलिवरी तक की जिम्मेदारी शामिल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जापान भी कर रहा है प्रयास
पिछले साल एक रिपोर्ट में सामने आया था कि नासा अपने मून मिशन में एक रोवर और वीकल को शामिल करने की योजना बना रही है। वीकल के लिए नासा ने दो पार्टनरशिप भी आगे बढ़ाई थीं। पहली साझेदारी जनरल मोटर्स और लॉकहीड मार्टिन के बीच हुई थी। दूसरी साझेदारी Northrop Grumman, AVL, Intuitive Machines, Lunar Outpost और Michelin के बीच हुई थी। नासा अकेली नहीं है, जो चांद पर वीकल उतारना चाहती है। जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने दो अलग-अलग लूनार ड्राइविंग प्रोजेक्ट्स के लिए निसान (Nissan) और टोयोटा (Toyota) के साथ पार्टनरशिप की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आकाशगंगा को लेकर नई अपडेट
तारे और आकाशगंगा कैसे बनी। इसे लेकर नासा का जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप जवाब ढूंढने में लगा हुआ है। इसको लेकर सबसे बड़े प्रोग्राम में से एक JWST एडवांस्ड डीप एक्सट्रैगैलेक्टिक सर्वे, या JADES है. इसके तहत लगभग 32दिनों तक टेलीस्कोप दूर की आकाशगंगाओं के ऊपर रिसर्च और स्टडी कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नई सितारों के साथ चमकदार गैलेस्की की पहचान
JADES ने पहले ही सैकड़ों आकाशगंगाओं की खोज कर ली है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप ने गैलेक्सी की सबसे अविश्वसनीय तस्वारें कैप्चर की हैं। JWST एडवांस्ड डीप एक्सट्रैगैलेक्टिक सर्वे प्रोग्राम के हिस्से के रूप में आकाश के एक हिस्से जिसे गुड्स-साउथ के रूप में जाना जाता है। इसमें एक ही फ्रेम में 45,000 से अधिक आकाशगंगाएं हैं। इनमें ऐसी गैलेक्सी भी हैं जो तब मौजूद थीं, जब ब्रह्मांड 60 करोड़ साल से कम पुराना था। टीम ने कई नए सितारों के साथ चमकदार गैलेक्सी की भी पहचान की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गैसीय कोहरे से भरा था ब्रह्मांड, अब है पारदर्शी
ऑस्टिन में टेक्सास यूनिवर्सिटी के रयान एंडस्ले ने 50 करोड़ से 85 करोड़ साल बाद मौजूद गैलेक्सी को लेकर जांच की है। यह एक महत्वपूर्ण समय था जिसे रीआयोनाइजेशन के युग के रूप में जाना जाता था। बिग बैंग के लाखों साल बाद तक ब्रह्मांड एक गैसीय कोहरे से भरा हुआ था। बड़े धमाके के एक अरब साल बाद, कोहरा साफ हो गया था और ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया था। इस प्रक्रिया को रीआयोनाइजेशन के युग के रूप में जाना जाता था। बिग बैंग के लाखों साल बाद तक, ब्रह्मांड एक गैसीय कोहरे से भरा हुआ था। बड़े धमाके के एक अरब साल बाद, कोहरासाफ हो गया था और ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया था. इस प्रक्रिया को रीआयोनाइजेशन के रूप में जाना जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तारे बनने का रहस्य
JADES प्रोग्राम के एक हिस्से के रूप में एंडस्ली और उनके सहयोगियों ने इन आकाशगंगाओं का वेब के NIRSpec (नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ) उपकरण के साथ अध्ययन किया। इसका मकसद तारे कैसे बने पता करना था। इसमें पाया गया कि लगभग हर एक आकाशगंगा जिसे खोजा गया, उनमें एक मजबूत एमिशन लाइन सिग्नेचर नजर आ रही है। इन शुरुआती गैलेक्सी का एक बड़ा हाथ तारे बनाने में रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सितारे और गैलेक्सी
इसके अलावा, JADES प्रोग्राम में शुरुआती आकाशगंगाओं की खोज भी शामिल है। इन आकाशगंगाओं का अध्ययन करके खगोलविद यह पता लगा सकते हैं कि बिग बैंग के बाद के शुरुआती सालों में सितारों का निर्माण वर्तमान समय में जो देखा जाता है, उससे कैसे अलग था। टैक्सन में एरिजोना यूनिवर्सिटी के केविन हैनलाइन कहते हैं, “इससे पहले, सबसे शुरुआती आकाशगंगाएं जिन्हें हम देख सकते थे, वे छोटे धब्बों की तरह दिखती थीं। वे धुंध ब्रह्मांड की शुरुआत में लाखों या अरबों सितारों के बारे में बताती है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।