पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के घर एनआइए की छापेमारी, मुकेश अंबानी की बिल्डिंग के बाहर आतंकी की झूठी साजिश रचने का आरोप
मुंबई पुलिस के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के खिलाफ एनआईए ने कार्रवाई की है। एनआईए ने प्रदीश शर्मा को हिरासत में ले लिया है। एनआईए की टीम सुबह 6 बजे प्रदीप शर्मा के अंधेरी स्थित घर छापेमारी के लिए पहुंची।
एनआईए ने 4 दिन पहले संतोष शेलार नाम के शख्स को गिरफ्तार किया था। उसका संबंध भी प्रदीप शर्मा से बताया जा रहा है। NIA इसी मामले में प्रदीप शर्मा से पूछताछ कर रही है। संतोष शेलार ने मनसुख हिरेन हत्या मामले में अपने इंवॉल्वमेंट की बात कबूल कर ली है। संतोष शेलार 21 जून तक NIA की कस्टडी में है। सूत्रों की माने तो प्रदीप शर्मा को एनआईए ने अपनी हिरासत में लिया है और उन्हें पूछताछ के लिए अपने साथ लेकर गई है। इससे पहले एनआईए संतोष शेलार और आनंद जाधव को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में अब तक चार पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त किया जा चुका है। जिसमें सचिन वझे, सुनील माने, रियाज काजी और कांस्टेबल विनायक शिंदे शामिल हैं।
इन पर मुंबई में मुकेश अंबानी की बिल्डिंग एंटीलिया के पास आतंकी साजिश की झूठी कहानी बनाने का आरोप भी है। मामले में एपीआई सचिन वजे मुख्य साजिशकर्ता था। मामले में बीते अप्रैल माह तक पुलिस संदिग्ध महिला के साथ पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह, पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा सहित कई डीसीपी और छोटे बड़े 25 से ज्यादा पुलिस वालों का बयान दर्ज कर चुकी है। सचिन वजे को हफ्ता देने वाले कई बार मालिकों से भी पूछताछ की गई थी।
जांच से जुड़े कुछ अफसरों से पता चला कि इस साजिश की शुरुआत नवंबर 2020 से ही शुरू हो गई थी, लेकिन अभी तक पूरी कड़ियां जुड़ी नही हैं। इसलिए पुख्ता तौर पर कुछ कह पाना मुश्किल है। कड़ियों को जोड़ने की एजेंसी की कोशिश जारी है। जिसकी सबसे पहली कड़ी औरंगाबाद से 17 नवंबर को चुराई गई ईको कार है। 28 मार्च को NIA को बीकेसी में मीठी नदी से CPU, DVR, सचिन वजे का लैपटॉप और प्रिंटर के साथ एक ही नम्बर की दो कार नंबर प्लेट भी मिली थी. पता चला कि वो इको कार की नंबर प्लेट है और उसे 17 नवंबर को औरंगाबाद से चुराया गया था।
मामले में गिरफ्तार सचिन वजे और विनायक शिंदे के मिलने का एक ठिकाना वसई का एक फॉर्महाउस भी था। 24 फरवरी के पहले मीटिंग में साजिश की पूरी कहानी बनाई गई थी। उस मीटिंग में कुछ और लोग भी शामिल थे, जिनका नाम बाहर आना अभी बाकी है। उस मीटिंग के बाद ही गुजरात के फर्जी सिम कार्ड का जुगाड़ लगाया गया। ताकि मोबाइल नम्बर से कोई जांच एजेंसी असली आरोपी तक पहुंच ना पाए। फर्जी सिम कार्ड दिलाने वाले ठक्कर नाम के उस सट्टेबाज का बयान भी दर्ज हो चुका है।
NIA अदालत में बता चुकी है कि बुकी नरेश गौर के पास से एक चिट मिला है, जिसमें 14 मोबाइल फोन नम्बर लिखे थे। उनमें से 5 सिमकार्ड वजे को दिए गए थे। बाद में उन्हीं फोन नंबरों का इस्तेमाल पूरी साजिश को प्लान्ट करने और फिर 4 मार्च की रात मनसुख हिरेन को फोन कर बुलाने के लिए किया गया था। 4 मार्च की रात ही मनसुख हिरेन की हत्या कर मुम्ब्रा रेती बंदर में फेंक दिया गया था।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
इस तरह की फेक काम सभी जगह की पुलिस करती है