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November 12, 2024

भू कानून को लेकर दिल्ली में प्रवासियों का धरना, इसके बाद नेताजी पहुंचे डिफेंस एरिया, ड्रेस देखकर गार्ड ने लौटाया, फिर दिया धरना

दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों ने उत्तराखंड में भू कानून लागू करने की मांग को लेकर धरना दिया। धरना दिल्ली स्थित उत्तराखंड आवासीय आयुक्त के कार्यालय के बाहर दिया गया। इसके बाद डिफेंस एरिया पहुंचे नेताजी को गार्ड ने लौटा दिया।

दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों ने उत्तराखंड में भू कानून लागू करने की मांग को लेकर धरना दिया। धरना दिल्ली स्थित उत्तराखंड आवासीय आयुक्त के कार्यालय के बाहर दिया गया। इस धरने में शामिल होने के बाद नेताजी अपनी नेहरू  टोपी, वास्कट और सफेद पायजामा वाली ड्रेस में ही डिफेंस एरिया में चले गए। अब वहां गार्ड ने उन्हें गेट के भीतर प्रवेश करने नहीं दिया गया। इस पर नेताजी नाराज हुए। गेट के बाहर धरने पर बैठे। जब कोई नहीं आया तो वह वहां से चले गए। उनका कहना है कि ये उनका नहीं, बल्कि गांधीजी की परंपरा का अपमान किया गया है। इसकी शिकायत वह सेना के उच्च अधिकारियों से करेंगे।
भू कानून को लेकर धरना
दिल्ली एनसीआर में रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों ने आज दिल्ली स्थित उत्तराखंड के आवासीय आयुक्त के कार्यालय के बाहर धरना दिया। धरना उत्तराखंड भू कानून संघर्ष समिति दिल्ली एनसीआर के झंडे तले दिया गया। इस मौके पर उत्तराखंड में तत्काल सख्त कानून लागू किए जाने की मांग की गई। साथ ही सरकार को चेतावनी दी गई कि यदि सरकार ने जल्द ही इस बाबत उचित फैसला ना लिया तो उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी राज्य भर में आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
इस दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने भी धरने में शिरकत की। उन्होंने दिल्ली एनसीआर वासियों की चिंता को वाजीब बताते हुए कहा कि दरअसल 9 नवंबर सन 2000 को जब राज्य बना था, तभी नया भू कानून उत्तराखंड की सरकार को लागू कर देना चाहिए था। उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस भी इस मामले में जल्द फैसला ना ले सकी। उन्होंने कहा कि अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने मजबूत फैसला लिया है। जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनेगी, सबसे पहले उत्तराखंड में भू कानून को तत्काल लागू किया जाएगा।
उन्होंने इस मौके पर कहा कि 2 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर हत्याकांड की बरसी है। इस गोलीकांड की जांच के लिए सरकार को तत्काल एक नया जांच आयोग गठित करना चाहिए। ताकी दोषियों को सजा मिल सके। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पिछले साढ़े चार साल में मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा दिलाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। जो कि दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस मौके पर धरने के संयोजको अनिल पंत, प्रेमा धोनी, दीपिका नयाल, कुशाल जीना, प्रताप थलवाल,आशा भराड़ा आदि ने उत्तराखंड सरकार से मांग की कि तत्काल कानून लागू करें। यदि ऐसा नहीं होता तो राज्य की जमीनों की जो लूट देशभर के भू माफियओ द्वारा और पूंजीपतियों द्वारा की जा रही है, उससे पृथक राज्य के निर्माण के उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। एक दिन उत्तराखंड के असली निवासी वहां पर बाहरी लोगों के नौकर चाकर बन कर रह जाएंगे ।
इस मौके पर स्थानीय आवासीय आयुक्त को आंदोलन के नेताओं रजनी ढोडियाल, जगत बिष्ट, आशा भराड़ा, दीपिका नयाल, प्रेमा धोनी, अनिल पत, एसके जैन, शशी मोहन ने एक ज्ञापन भी दिया गया। इस मौके पर अन्य लोगों के अलावा शिव सिंह रावत,देव सिंह रावत, सत्येंद्र रावत, सुनील कुमार समेत अनेक लोग मौजूद थे।

रक्षा अधिकारी से मिलने गए नेताजी, ड्रेस देखकर गार्ड ने लौटाया
दिल्ली के धौला कुआं स्थित फौज के डिफेंस ऑफिसर सर्विस इंस्टीट्यूट में एक रक्षा अधिकारी से मिलने गए उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप को गार्ड ने गेट के भीतर प्रवेश करने नहीं दिया। घटना आज गुरुवार यानी 30 सितंबर की अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे की है। धीरेंद्र प्रताप धरनास्थल से सीधे यहां पहुंचे, लेकिन उनकी नेहरू टोपी, कुर्ता और पैरों में पहनी चप्पल को देख गार्ड ने कहा कि ये ड्रेस फौज के कोड में नहीं है। इसलिए उन्हें अंदर जाने नहीं दिया जा सकता।
इसे धीरेंद्र प्रताप ने नेहरू कैप का अपमान बताया और डिफेंस ऑफिसर सर्विसेस इंस्टिट्यूट के बाहर कुछ देर सांकेतिक धरना दिया। कुछ देर धरने पर बैठने के बाद वह वहां से चले गए। उन्होने कहा कि नेहरू टोपी के अपमान के विरुद्ध भारत की सेनाओं के अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत से वे शीघ्र मिलेंगे। यही नहीं, भारत के रक्षा राज्य मंत्री एवं उत्तराखंड के नैनीताल से सांसद अजय भट्ट से भी वह मिलेंगे। सेना इंस्टिट्यूट में नेहरू कैप और भारतीय परिधान कुर्ते के भी अपमान के विरुद्ध जो भारतीय परिधान हैं, वह अपना विरोध दर्ज कराएंगे।
उन्होंने कहा कि यद्यपि कुछ देर बाद वहां से चले गए। उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री जो स्वयं कुर्ता पहनते हैं और महामहिम राष्ट्रपति जो तीनों भारतीय सेनाओं के सर्वोच्च सेनापति हैं, उनसे भी हस्तक्षेप करने की मांग की है। साथ ही फौजी कानून में नेहरू कैप का अपमान ना किए जाने की अपील की है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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