24 घंटे के भीतर नेपाल, बिहार, यूपी, दिल्ली एनसीआर से लेकर उत्तराखंड में दहली धरती, भूकंप के आए पांच झटके, नेपाल में छह की मौत

इससे पहले भी आठ नवंबर की रात आठ बजकर 52 मिनट पर नेपाल में 4.9 तीव्रता का पहला भूकंप आया था। इसके बाद नेपाल में ही नौ बजकर 41 मिनट पर 3.5 तीव्रता का दूसरा भूकंप आया। फिर नौ नवंबर की रात एक बजकर 57 मिनट पर नेपाल के इस तीसरे भूकंप से तो उत्तराखंड, दिल्ली के साथ ही नोएडा और गुरुग्राम, यूपी, बिहार के कई इलाकों में कई सेकेंड तक भीषण झटके महसूस किए गए। इसके कारण लोग उठ गए और घरों से बाहर निकल आए। 6.3 तीव्रता के इस भूकंप का असर भारत के अलावा नेपाल और चीन में भी देखा गया। भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किमी की गहराई में था। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग, नैनीताल सहित कई जिलों में इस भूकंप के झटके महसूस किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पिथौरागढ़ में भी आया भूकंप
इन भूकंप के बाद नेपाल में एक बार फिर से तड़के तीन बजकर 15 मिनट 22 सेकेंड पर 3.6 तीव्रता का भूकंप आया। इसके बाद उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में छह बजकर 27 मिनट 13 सेकेंड पर 4.3 तीव्रता का भूकंप महसूस आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का आक्षांस 29.47 और देशांतर 80.49 था। साथ ही इसका केंद्र जमीन के भीतर करीब पांच किलोमीटर था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रविवार को भी आया था उत्तराखंड में भूकंप
इससे पहले रविवार को भी उत्तराखंड में भूकंप के यह झटके देहरादून, मसूरी से लेकर उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग तक तक महसूस किए गए थे। ये भूकंप रविवार की सुबह करीब आठ बजकर 33 मिनट तीन सेकेंड पर महसूस किया गया। रिक्टर स्केल में इसकी तीव्रता 4.5 थी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का आक्षांस 30.67 और देशांतर 78.60 था। साथ ही इसका केंद्र जमीन के भीतर करीब पांच किलोमीटर था। जो उत्तरकाशी के चिन्यालीसौंड से करीब 35 किमी दूर टिहरी जिले में बताया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।