ना विशेषज्ञ चिकित्सक, ना टेक्नीशियन, फिर कायम है जुगाड़ तंत्र, छात्रा का टूटा हाथ, प्लास्टर की जगह लगा दिया गत्ता
एक छात्रा के हाथ की हड्डी टूटने पर चिकित्सक ने जुगाड़ तंत्र का सहारा लिया और उसके हाथ में प्लास्टर की जगह गत्ता बांध दिया।
उत्तराखंड के सूदूर पर्वतीय इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। स्थिति ये है कि कहीं चिकित्सक नहीं हैं। तो कहीं आपश्यक उपकरणों की कमी है। जहां मशीन हैं, वहां टेक्नीशियन नहीं हैं। ऐसे में मशीने भी जंग खा रही हैं। अब पौड़ी जिले के रिखणीखाल सरकारी अस्पताल की एक फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। इसे देखकर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति का अंदाजा कोई भी सहज लगा सकता है। यहां एक छात्रा के हाथ की हड्डी टूटने पर चिकित्सक ने जुगाड़ तंत्र का सहारा लिया और उसके हाथ में प्लास्टर की जगह गत्ता बांध दिया। कारण ये है कि एक्सरे मशीन को चलाने वाला वहां लैब टैक्नीशयन नहीं है। ऐसे में चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार देकर, उसके हाथ को गत्ते के सहारे बांधकर दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया। खैर इन सब बातों से अब लोगों को भी मतलब नहीं रह गया है। लोगों को तो स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई से अब कोई लेना देना नहीं रहा है। उन्हें ज्ञानव्यापी, ताजमहल, कुतुबमीनार जैसे मुद्दे उलझाए हुए हैं। इसमें भी यदि समय बच जाए तो हिंदू और मुसलमान के बीच नफरती संदेश फैलाने का काम भी उनके पास है। फेसबुक, व्हाट्सएप में ऐसे ही संदेश ज्यादा ट्रेंड कर रहे हैं। समस्याओं से किसी को लेना देना नहीं है। जब अपनी बारी आए तो भुगतो।अब पौड़ी जिले की ही घटना देख लीजिए। यहां एक सरकारी स्कूली की छात्रा के हाथ में चोट लगी। उसे रिखणीखाल ब्लॉक के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया। अस्पताल में मौजूद चिकित्सक ने कहा कि ना तो वहां हड्डी विशेषज्ञ है और ना ही एक्सरे मशीन चलाने वाला टेक्नीशियन। ना ही इस अस्पताल में प्लास्टर चढ़ाने की व्यवस्था ही थी। ऐसे में छात्रा को प्राथमिक उपचार दिया गया। चिकित्सक ने जुगाड़ तंत्र का सहारा लिया और पट्टी बांधकर के साथ ही गत्ते के सहारे उसका हाथ लटका दिया। कभी किसी जमाने में ग्रामीण इलाकों में ऐसे प्रयोग गावों में तब किए जाते थे, जब अस्पताल पहुंचने में कई घंटे लगते थे। उस दौरान हाथ में लकड़ी की खपच्ची आदि बांध दी जाती थी।




