अरबों किलोमीटर दूर खो चुके नासा के स्पेसक्राफ्ट वॉयजर 2 की सुनाई दी धड़कन, वैज्ञानिक उत्साहित
अरबों किलोमीटर दूर स्थित एक पुराने सैटेलाइट से संपर्क कट जाने के बाद अब धरती के वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने मंगलवार को कहा कि मिशन कंट्रोल की ओर से गलती से संपर्क टूट जाने के बाद नासा के वॉयजर 2 (Voyager 2) प्रोब ने पृथ्वी पर ‘हार्टबीट’ सिग्नल भेजा है। इस सैटेलाइट को 1977 में बाहरी ग्रहों की खोज और व्यापक ब्रह्मांड में इंसानी मौजूदगी के रूप में लॉन्च किया गया था। वर्तमान में यह हमारे ग्रह से 19.9 अरब किमी दूर, सौर मंडल से काफी दूर स्थित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) ने एक हालिया अपडेट में कहा कि 21 जुलाई को वॉयजर 2 को भेजे गए प्लैन्ड कमांड्स की एक सीरीज के कारण ‘अनजाने में एंटीना पृथ्वी से दो डिग्री दूर चला गया। इससे यह अपने मिशन कंट्रोल से ड्रेटा ट्रांसमिट या कमांड रिसीव नहीं कर पा रहा था। इस स्थिति के 15 अक्टूबर तक हल होने की उम्मीद नहीं थी, जब वॉयजर 2 अपने सिस्टम को रिसेट नहीं करता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धड़कन सुन वैज्ञानिक उत्साहित
वॉयजर प्रोजेक्ट मैनेजर सुज़ैन डोड ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि संपर्क को फिर से स्थापित करने की आखिरी कोशिशों में टीम ने डीप स्पेस नेटवर्क की मदद ली। विशाल रेडियो एंटेना की एक अंतरराष्ट्रीय सीरीज, साथ ही कुछ जो पृथ्वी की कक्षा में मौजूद हैं। वह हैरान रह गई क्योंकि यह प्रयोग सफल रहा और वैज्ञानिक सैटेलाइट के दिल की धड़कन सुनने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि अब हम जानते हैं कि स्पेसक्राफ्ट जीवित है और ऑपरेट कर रहा है। इससे हमारा उत्साह बढ़ा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सिग्नल भेजने में लगता है इतना समय
डोड ने कहा कि टीम अब अंतरिक्ष यान के एंटीना को पृथ्वी की ओर मोड़ने के लिए एक नया कमांड तैयार कर रही है। हालांकि इसकी संभावना ‘बेहद कम’ है कि यह काम करेगा। फिर भी, 15 अक्टूबर अभी बहुत दूर है। नासा इन कमांड्स को भेजने का प्रयास करता रहेगा। वॉयजर 2 और पृथ्वी के बीच की दूरी को देखते हुए सिग्नल को सौर मंडल से अंतरिक्ष यान तक एक दिशा में पहुंचने में लगभग 18.5 घंटे लगते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।